राजनीति जगत के एक ऐसे कद्दावर नेता जिनका कांग्रेस के बाद भाजपा में भी सितारा बुलंदियों पर है. इसके साथ आध्यात्म के क्षेत्र में भी देश-विदेशों में इनके लाखों की संख्या में शिष्य हैं. उन्हें ‘स्पष्टवादी और खुली’ (मुखर) सियासत करने के लिए जाना जाता है. चाहे वह किसी भी पार्टी में रहे हो लेकिन उनका ‘दबदबा’ कायम रहा. देवभूमि के निर्माण में भी इनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है. हम बात कर रहे हैं राजनीति के ‘महाराज’ की. आज उत्तराखंड की धामी सरकार के कद्दावर कैबिनेट मंत्री और आध्यात्मिक गुरु सतपाल महाराज का जन्मदिन है.
महाराज का जन्म 21 सितंबर 1951 को हरिद्वार में हुआ था-
बता दें कि ‘सतपाल सिंह रावत को सतपाल महाराज के रूप में जाना जाता है’. महाराज का जन्म 21 सितंबर 1951 को कनखल, हरिद्वार में हुआ था. वह प्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरु योगीराज परमंत श्री हंस और राजेश्वरी देवी के बेटे हैं. गौरतलब है कि सतपाल महाराज ने उत्तराखंड के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. एक सांसद और केंद्रीय मंत्री के रूप में उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा और इंद्र कुमार गुजराल और पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ज्योति बसु पर उत्तराखंड को अलग राज्य बनाने के लिए दबाव डाला था.
केंद्र की मनमोहन सरकार में उन्हें 5 मई 2010 को ‘लोक लेखा समिति’ के सदस्य और 19 अक्टूबर 2010 को सामान्य प्रयोजन समिति के सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया था. साथ ही वह रक्षा पर 20 सदस्यीय संसदीय स्थायी समिति के प्रमुख भी थे. आखिरकार महाराज ने 21 मार्च 2014 को कांग्रेस पार्टी छोड़ दी और भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए. इसके अलावा उन्होंने 5 अप्रैल 2014 को 15वीं लोकसभा से इस्तीफा दे दिया. तब से वह भारतीय जनता पार्टी में सक्रिय रूप से उत्तराखंड में साल 2017, त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार के कार्यकाल से अब तक कैबिनेट मंत्री बने हुए हैं. सतपाल महाराज के सभी पार्टियों के नेताओं के साथ अच्छे रिश्ते हैं.
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार