मध्य प्रदेश में गेहूं की पराली जलाने की घटनाएं देश में सबसे अधिक दर्ज की गई हैं, जिससे पर्यावरणीय चिंताएं बढ़ गई हैं। राज्य के विभिन्न जिलों में अब तक कुल 770 किसानों पर पराली जलाने के आरोप में ₹25 लाख से अधिक का जुर्माना लगाया गया है, और 50 से अधिक एफआईआर दर्ज की गई हैं।
इंदौर जिले में प्रशासन ने 770 किसानों पर ₹16.7 लाख का जुर्माना लगाया है, जबकि कटनी जिले में आठ किसानों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। इन कार्रवाइयों के बावजूद, पराली जलाने की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं, जिससे वायु प्रदूषण और मिट्टी की उर्वरता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।
सरकार ने किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए जागरूकता अभियान शुरू किए हैं, जिसमें उन्हें वैकल्पिक उपायों के बारे में जानकारी दी जा रही है। हालांकि, किसानों का कहना है कि उन्हें पराली प्रबंधन के लिए पर्याप्त संसाधन और सहायता नहीं मिल रही है, जिससे वे मजबूरी में पराली जलाने को विवश हैं।
पराली जलाने की समस्या से निपटने के लिए प्रशासन को सख्त कदम उठाने के साथ-साथ किसानों को प्रभावी और सुलभ विकल्प प्रदान करने की आवश्यकता है, ताकि पर्यावरण की रक्षा की जा सके और किसानों की आजीविका भी सुरक्षित रह सके।