उत्तराखंड में एक बार फिर से लंपी वायरस (Lumpy Skin Disease) ने कहर बरपा दिया है। चार दिन के भीतर पर्वतीय जिलों में तीन हजार से अधिक जानवर इस जानलेवा रोग की चपेट में आ चुके हैं। जबकि सूबे के चार जिलों में इस रोग के चलते 32 पशुओं की मौत हो चुकी है।
लंपी रोग का सबसे ज्यादा प्रभाव कुमाउं मंडल में देखा जा रहा है। इस महामारी की चपेट में अल्मोड़ा, बागेश्वर, चमोली, चंपावत, पिथौरागढ़, नैनीताल, रुद्रप्रयाग जिले में 3131 पशु आ चुके हैं। बीते चार दिनों की बात करें तो इनमें 1669 पशु ठीक हुये हैं। जबकि 32 पशुओं की अब तक मौत हो चुकी है।
आपको बता दें कि पहली बार उत्तराखंड में 2022 में लंपी रोग ने दस्तक दी थी। उस समय देहरादून, हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर, नैनीताल में 36 हजार से अधिक पशु लंपी वायरस की चपेट में आये थे। जिनमें से 921 पशुओं की मौत हो गई थी। लेकिन इस बार लंपी रोग पर्वतीय क्षेत्रों में भी तेजी से फैल रहा है।
लंपी रोग के खतरे को देखते हुये सरकार ने राज्य के अंदरूनी जिलों और दूसरे राज्यों के बीच पशुओं की अवाजाही पर पूरी तरह से रोक लगा दी है, इतना ही नहीं पशुपालन विभाग ने अगले आदेश तक विभाग के अधिकारियों, कर्मचारियों की छुट्टियां और प्रतिनियुक्ति पर रोक लगा दी है। साथ ही दस दिनों के भीतर प्रभावित इलाकों में शतप्रतिशत टीकाकरण का लक्ष्य रखा गया है।