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कई राज्यों में लॉकडाउन और सख्त पाबंदियों से कोरोना की रफ्तार पर लगने लगा कुछ ‘ब्रेक’

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कोरोना महामारी से निपटने के लिए सबसे कारगर लॉकडाउन ही माना गया है । इसका बड़ा कारण यह है कि लॉकडाउन और सख्त पाबंदी होने की वजह से लोग घरों पर ही रहते हैं जिससे यह महामारी फैलने का खतरा कम रहता है ।

लेकिन यह भी सच है कि सरकारों के लिए इस महामारी को काबू करने के लिए लॉकडाउन ही अंतिम जरिया भी रहता है । यह पाबंदी आर्थिक दृष्टि से भी आम लोगों को प्रभावित भी करती है। पिछले दिनों कई राज्यों में लगाए गए लॉकडाउन ने कोरोना की बढ़ती रफ्तार पर बहुत हद तक ‘ब्रेक’ लगा दिया है।

महाराष्ट्र, राजधानी दिल्ली, मध्य प्रदेश, बिहार, राजस्थान, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश में मामले घट रहे हैं । हालांकि अभी इन राज्यों में खतरा टला नहीं है । देश में कोरोना की दूसरी लहर के बीच सोमवार को नए मरीजों का आंकड़ा 5 दिन में पहली बार 4 लाख से नीचे आ गया। बीते 24 घंटे में यहां 3 लाख 66 हजार 317 लोगों में कोरोना की पुष्टि हुई।

3 लाख 53 हजार 580 लोग ठीक भी हुए, जबकि 3,747 लोगों ने जान गंवाई। इस तरह एक्टिव केस यानी इलाज करा रहे मरीजों की संख्या में सिर्फ 8,907 की बढ़ोतरी हुई। यह आंकड़ा पिछले 55 दिन में सबसे कम है। बता दें कि देश के 18 राज्यों में पूर्ण लॉकडाउन जैसी पाबंदियां हैं। इनमें हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, मिजोरम, गोवा और पुडुचेरी शामिल हैं।

यहां पिछले लॉकडाउन जैसे ही कड़े प्रतिबंध लगाए गए हैं। दूसरी ओर देश के 14 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में आंशिक लॉकडाउन है। यानी यहां पाबंदियां तो हैं, लेकिन छूट भी है। इनमें जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, उत्तराखंड, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, मेघालय, नगालैंड, असम, मणिपुर, त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और गुजरात शामिल हैं।

इस महामारी पर विजय पाने के लिए हमें भी संकल्प लेना होगा । सरकारों की बनाई बनाई गई कोरोना गाइडलाइन का पूरी तरह से पालन करना होगा।

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