पिछले एक सप्ताह से अधिक समय से बाढ़ की विभीषिका झेल रहे लक्सर क्षेत्र को अभी तक बाढ़ ग्रस्त क्षेत्र घोषित नहीं किया गया है। जिससे क्षेत्र के लोगों में भारी रोष व्याप्त है। क्षेत्र के लोगों के लिए बाढ़ का कहर झेलने के लिए यह कोई पहला अवसर नहीं है। वे पिछले एक लंबे समय से बरसात के दिनों में बाढ़ का कहर झेलते चले आ रहे है।
लेकिन शासन व प्रशासन के नुमाइंदे शायद अभी तक यह सब नहीं देख नही पाये है। बाढ़ के हालात पैदा होने पर बड़े-बड़े दावे जरूर किए जाते हैं। लेकिन बरसात का मौसम समाप्त होते ही सभी दावे हवा हवाई हो जाते हैं। लक्सर तहसील क्षेत्र के लोग पिछले एक लंबे अरसे से बाढ़ का कहर झेलते चले आ रहे हैं।
लेकिन आधे-अधूरे बने तटबंध ऊपर से उनकी मरम्मत न होने तथा क्षेत्र में लगातार अवैध खनन होने के चलते क्षेत्र के लोग आज भी बाढ़ का कहर झेलने को विवश हैं। मुआवजे के नाम पर हुए नुकसान का उन्हें जो मुआवजा मिलता है। उससे आधे नुकसान की भी भरपाई नहीं हो पाती है।
वैसे तो क्षेत्र के लोग उत्तराखंड राज्य के गठन से पूर्व से ही बाढ़ का कहर झेलते चले आ रहे हैं। लेकिन उत्तराखंड गठन के बाद भी क्षेत्र के लोगों को पूरी तरह राहत नहीं मिल पायी है। इसके लिए मुख्यमंत्री को पत्र भी भेजा गया है।