जोशीमठ में आपदा प्रभावितों को मुआवजे के रूप में दी जाने वाले राशि को लेकर अब तक एकराय नहीं बन सकी है। बता दे कि सोमवार को आयोजित बैठक में मुआवजे को लेकर गठित समिति के गैर अधिकारी सदस्यों ने प्रशासन से बदरीनाथ की तर्ज पर बाजार भाव से छह गुना अधिक भूमि का मुआवजा देने की मांग दोहराई।
इसी के साथ ही भूमि का 60 लाख प्रति नाली की दर से मुआवजा देने की बात भी कही, जिसे प्रशासन ने अस्वीकार कर दिया।
हालांकि जिलाधिकारी हिमांशु खुराना ने बताया कि प्रशासन आपदा प्रभावितों और समिति से लगातार संवाद कर रही है ताकि मुआवजे को लेकर सही निर्णय पर पहुंचा जा सके। उन्होंने कहा कि प्रशासन की ओर से प्रभावितों को अग्रिम मुआवजा राशि भी लगातार दी जा रही है।
इसी के साथ अगले दो दिनों में सभी प्रभावितों को अग्रिम सहायता राशि के चेक दे दिए जाएंगे। जिलाधिकारी ने साफ किया कि अग्रिम सहायता राशि के रूप में दिए जाने वाले डेढ़ लाख रुपये में 50 हजार शिफ्टिंग के लिए हैं, जबकि कुल मुआवजा राशि में से एक लाख रुपये काटे जाएंगे।
जिलाधिकारी हिमांशु खुराना ने बताया कि प्रभावितों को हीटर, कंबल एवं गरम कपड़ों के साथ छोटे बच्चों के लिए बेबी किट का वितरण किया जा रहा है। साथ ही मेडिकल टीम निरंतर चिकित्सा सुविधाएं दे रही है। प्रभावितों का सामान शिफ्ट करने के लिए वाहनों की व्यवस्था भी की गई है।
जोशीमठ नगर में आपदा प्रभावित क्षेत्रों में भूधंसाव से दरारें चौड़ी हो रही है। साथ ही भूधंसाव का दायरा भी बढ़ रहा है। सोमवार को 23 और भवनों को चिह्नित किया गया है। प्रशासन के निर्देश पर मनोहरबाग में मजदूरों ने दरारों में मिट्टी डालकर ढंकने का प्रयास किया। लेकिन, स्थानीय लोगों के विरोध के बाद मजदूरों को लौटना पड़ा।
दरअसल, मनोहर बाग में खेतों के आसपास दरारें चौड़ी हो रही हैं। प्रशासन ने इन दरारों को भरने के लिए मजदूर भेजे। मजदूरों ने जैसे ही दरारों में मिट्टी भरनी शुरू की, आपदा प्रभावितों को भनक लग गई और वो मौके पर पहुंचकर हंगामा करने लगे।
स्थानीय लोगों के विरोध के बाद मजदूर भी वापस लौट गए। स्थानीय निवासियों ने आरोप लगाया कि दरारें नापने और इसका स्थायी समाधान करने के बजाय मिट्टी भरकर प्रशासन उसे छुपाने का प्रयास कर रही है, जो गलत है।