हिंदू धर्म में गुरु का स्थान ईश्वर तुल्य है. ईश्वर रूपी गुरु के सम्मान, पूजन और महत्व के लिए हर साल आषाढ़ पूर्णिमा के दिन को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है. वेद व्यास की जयंती होने के कारण इसे व्यास पूर्णिमा भी कहते हैं.
जुलाई में गुरु पूर्णिमा की तिथि को लेकर लोगों में असमंजस की स्थिति है. अगर आप भी कंफ्यूज हैं कि गुरु पूर्णिमा 20 को है या 21 जुलाई तो आपको बता दें कि, इस वर्ष गुरु पूर्णिमा का पर्व रविवार, 21 जुलाई को मनाया जाएगा.
शनिवार 20 जुलाई 2024 शाम 5 बजकर 59 मिनट से पूर्णिमा तिथि लग जाएगी, जिसका समापन अगले दिन 21 जुलाई दोपहर 3 बजकर 46 मिनट पर होगा. उदयातिथि मान्य होने के कारण 21 जुलाई को आषाढ़ पूर्णिमा या गुरु पूर्णिमा मनाई जाएगी.
गुरु पूर्णिमा पर इस वर्ष कई योगों का मिलन होगा और इस दिन सर्वार्थ सिद्धि, रवि, प्रीति और विष्कुम्भ योग भी रहेगा. पूजा के लिए सुबह 7 बजकर 19 मिनट से दोपहर 12 बजकर 27 मिनट का समय शुभ रहेगा. वहीं चंद्रोदय का रात्रि में 7:38 मिनट है.
गुरु पूर्णिमा के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानादि से निर्वृत्त होकर भगवान विष्णु और वेदों के रचयिता वेद व्यास की पूजा करनी चाहिए. इस दिन गुरुओं के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लें और अपने सामर्थ्यनुसार दान-दक्षिणा जरूर करें.
गुरु अपने शिष्य को अंधकार के अज्ञान से बाहर निकालकर ज्ञान के प्रकाश की ओर ले जाते हैं. जीवन को सही दिशा देने में गुरु का विशेष योगदान होता है. गुरु पूर्णिमा के दिन ‘गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु र्गुरुर्देवो महेश्वरः गुरु साक्षात परब्रह्मा तस्मै श्रीगुरवे नमः’ इस मंत्र का जाप जरूर करें.