पुराणों में एकादशी व्रत को भगवान विष्णु को प्रसन्न कर उनकी कृपा प्राप्ति के लिए सबसे प्रभावी उपाय माना गया है। कहा गया है की जो कोई भी जातक इस पावन दिन व्रत करता है, संयम और नियम का अनुपालन करता है और रात्रि जागरण करते हुए हरिकीर्तन में निरत रहता है
वह भगवान का परम प्रिय बन जाता है। इस व्रत के प्रभाव से मनुष्य तो क्या पिशाच तक तर जाते हैं। ब्रह्माण्ड पुराण के अनुसार फाल्गुन शुक्ल पक्ष एकादशी को आमलकी एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस वर्ष यह एकादशी गुरुवार, 25 मार्च 2021 को पड़ रही है। आइये जानते हैं आमलकी एकादशी व्रत की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त एवं कथा।
आमलकी एकादशी पूजा विधि
ऐसी मान्यता है की फाल्गुन मास की एकादशी को जगत्पति जनार्दन माँ लक्ष्मी के साथ वास करते हैं अतः इस दिन आँवले के समीप बैठकर भगवान का पूजन करें, ब्राह्मणों को दक्षिणा दे और कथा सुने। रात्रि में जागरण करके दूसरे दिन पारण करें।
फाल्गुने मासि शुक्लायामेकादश्यां जनार्दनः।
वसत्यामलकीवृक्षे लक्ष्म्या सह जगत्पतिः।।
तत्र सम्पूज्य देवेशं शक्त्या कुर्यात् प्रदक्षिणाम्।
उपोष्य विधिवत् कल्पं विष्णुलोके महीयते।।
आमलकी एकादशी शुभ मुहूर्त
व्रत का दिन – आमलकी एकादशी गुरुवार, 25 मार्च 2021 को है
एकादशी तिथि का आरंभ – बुधवार, 24 मार्च 2021 को दिन 10 बजकर 24 मिनट से
एकादशी तिथि का अंत –
गुरुवार, 25 मार्च 2021 को दिन 09 बजकर 48 मिनट पर
एकादशी पारण का समय –
शुक्रवार, 26 मार्च 2021 को सूर्योदय से लेकर दिन 08:22 तक
आमलकी एकादशी कथा
आमलकी एकादशी की कथा के अनुसार वैदेशिक नगर में चैत्ररथ नामक राजा के राज्य में एकादशी व्रत का अत्यधिक प्रचार प्रसार था। सारे नागरिक पूरी श्रद्धा और निष्ठा से व्रत का पालन करते थे। एक बार फाल्गुन शुक्ल एकादशी के दिन नगर के सभी नर-नारियों को व्रत के महोत्सव में मग्न देखकर कौतूहलवश एक व्याध वहां आकर बैठ गया और भूखा-प्यासा दूसरे दिन तक बैठा रहा। इस प्रकार अचानक ही व्रत और जागरण हो जाने से दूसरे जन्म में वह व्याध व्रत के प्रभाव से जयन्ती का राजा हुआ।