Diwali 2022: कब मनाई जाएगी दिवाली, जानें पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

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प्रत्येक वर्ष कार्तिक माह में अमावस्या तिथि को दिवाली का त्योहार मनाया जाता है. पूरे भारत में इस पर्व का अलग ही हर्ष और उल्लास देखने को मिलता है. इस दिन पूरा देश दीये को रोशनी से जगमगा उठता है. हिंदू धर्म में दिवाली को सुख-समृद्धि प्रदान करने वाला त्योहार माना जाता है.

धार्मिक मान्यता है कि इस दिन मां लक्ष्मी अपने भक्तों के घर पर पधारती हैं और उन्हें धन-धान्य का आशीर्वाद प्रदान करती हैं. साथ ही कहा जाता है कि दिवाली के दिन ही प्रभु श्रीराम लंकापति रावण पर विजय प्राप्त करके अयोध्या लौटे थे. 14 वर्ष का वनवास पूरा कर भगवान राम के अयोध्या लौटने की खुशी में लोगों ने पूरे अयोध्या को दीयों को रोशनी से सजा दिया था. तभी से पूरे देश में दिवाली मनाई जाती है. इस दिन लोग दीपक जलाकर खुशियां मनाते हैं. तो चलिए जानते हैं इस साल दिवाली की तिथि शुभ मुहूर्त कब है और पूजन विधि क्या है…

दिवाली पर शुभ मुहूर्त कब है?
इस साल कार्तिक माह की अमावस्या तिथि 24 और 25 अक्टूबर दोनों दिन पड़ रही है. लेकिन 25 अक्टूबर को अमावस्या तिथि प्रदोष काल से पहले ही समाप्त हो रही है. वहीं 24 अक्टूबर को प्रदोष काल में अमावस्या तिथि होगी. 24 अक्टूबर को निशित काल में भी अमावस्या तिथि होगी. इसलिए इस साल 24 अक्टूबर को ही पूरे देश में दीवाली का पर्व मनाया जाएगा.

दीपावली 2022 पूजा के शुभ मुहूर्त-:
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त शाम 06 बजकर 53 मिनट से रात 08 बजकर 16 मिनट तक रहेगा। लक्ष्मी पूजन की कुल अवधि 01 घंटा 23 मिनट की है.

लक्ष्मी पूजन प्रदोष काल व वृषभ काल में-:
लक्ष्मी-गणेश पूजन प्रदोष काल में 24 अक्टूबर को शाम 05 बजकर 43 मिनट से रात 08 बजकर 16 मिनट तक रहेगा। वृषभ काल शाम 06 बजकर 53 मिनट से रात 08 बजकर 48 मिनट तक रहेगा.

दिवाली पर लक्ष्मी-गणेश पूजन विधि
दिवाली पर शुभ मुहूर्त में लक्ष्मी-गणेश की पूजा विधि पूर्वक की जाती है. पहले कलश को तिलक लगाकर पूजा आरम्भ करें. इसके बाद अपने हाथ में फूल और चावल लेकर मां लक्ष्मी और भगवान गणेश का ध्यान करें.

ध्यान के पश्चात भगवान श्रीगणेश और मां लक्ष्मी की प्रतिमा पर फूल और अक्षत अर्पण करें. फिर दोनों प्रतिमाओं को चौकी से उठाकर एक थाली में रखें और दूध, दही, शहद, तुलसी और गंगाजल के मिश्रण से स्नान कराएं. इसके बाद स्वच्छ जल से स्नान कराकर वापस चौकी पर विराजित कर दें.

स्नान कराने के उपरांत लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमा को टीका लगाएं. माता लक्ष्मी और गणेश जी को हार पहनाएं. इसके बाद लक्ष्मी गणेश जी के सामने बताशे, मिठाइयां फल, पैसे और सोने के आभूषण रखें. फिर पूरा परिवार मिलकर गणेश जी और लक्ष्मी माता की कथा सुनें और फिर मां लक्ष्मी की आरती उतारें.

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