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बड़ी खबर: ऑटोमोबाइल स्‍क्रैपेज पॉलिसी हुई शुरू, नई गाड़ी में नहीं देना होगा रजिस्ट्रेशन शुल्क, जानिए प्रमुख बातें

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को नेशनल ऑटोमोबाइल स्‍क्रैपेज पॉलिसी (National Automobile Scrappage Policy) को लॉन्‍च करते हुए कहा कि ये पॉलिसी नए भारत की मोबिलिटी को, ऑटो सेक्टर को नई पहचान देने वाली है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में व्‍हीकलर पॉपूलेशन के मॉडर्नाइजेशन को, अनफ‍िट व्‍हीकल्‍स को एक वैज्ञानिक तरीके से सड़कों से हटाने में ये policy बहुत बड़ी भूमिका निभाएगी।

पीएम मोदी ने कहा कि मोबिलिटी में आई आधुनिकता, ट्रेवल और ट्रांसपोर्टेशन का बोझ तो कम करती ही है, आर्थिक विकास के लिए भी मददगार साबित होती है। 21वीं सदी का भारत क्‍लीन, कंजेशन फ्री और सुविधाजनक परिवहन का लक्ष्य लेकर आगे बढ़े, ये आज समय की मांग है।

उन्‍होंने कहा कि नई स्क्रैपिंग पॉलिसी, वेस्‍ट टू वेल्‍थ यानि कचरे से कंचन के अभियान की, सर्कुलर इकोनॉमी की एक अहम कड़ी है। ये पॉलिसी, देश के शहरों से प्रदूषण कम करने और पर्यावरण की सुरक्षा के साथ तेज़ विकास की हमारे कमिटमेंट को भी दर्शाती है।

आज एक तरफ भारत डीप ओशीन मिशन के माध्यम से नई संभावनाओं को तलाश रहा है, तो वहीं सर्कुलर इकोनॉमी को भी प्रोत्साहित कर रहा है। पीएम मोदी ने कहा कि हमारी कोशिश है कि हम विकास को टिकाऊ और पर्यावरण अनुकूल बनाएं।

पीएम मोदी ने कहा कि इस पॉलिसी से सामान्य परिवारों को हर प्रकार से बहुत लाभ होगा। सबसे पहला लाभ ये होगा कि पुरानी गाड़ी को स्क्रैप करने पर एक सर्टिफिकेट मिलेगा। ये सर्टिफिकेट जिसके पास होगा उसे नई गाड़ी की खरीद पर रजिस्ट्रेशन के लिए कोई पैसा नहीं देना होगा।

इसके साथ ही उसे रोड टैक्स में भी कुछ छूट दी जाएगी। दूसरा लाभ ये होगा कि पुरानी गाड़ी की मैंटेनेंस कॉस्ट, रिपेयर कॉस्ट, ईंधन दक्षता में भी बचत होगी।

तीसरा लाभ सीधा जीवन से जुड़ा है। पुरानी गाड़ियों, पुरानी टेक्नोलॉजी के कारण रोड एक्सीडेंट का खतरा बहुत अधिक रहता है, जिससे मुक्ति मिलेगी। चौथा, इससे हमारे स्वास्थ्य प्रदूषण के कारण जो असर पड़ता है, उसमें भी कमी आएगी।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत को गति देने के लिए, भारत में इंडस्ट्री को टिकाऊ और उत्‍पादक बनाने के लिए निरंतर कदम उठाए जा रहे हैं। हमारी ये पूरी कोशिश है कि ऑटो मैन्यूफैक्चरिंग से जुड़ी वैल्यू चेन के लिए जितना संभव हो, उतना कम हमें इंपोर्ट पर निर्भर रहना पड़े।

इथेनॉल हो, हाइड्रोजन फ्यूल हो या फिर इलेक्ट्रिक मोबिलिटी, सरकार की इन प्राथमिकताओं के साथ इंडस्ट्री की सक्रिय भागीदारी बहुत ज़रूरी है। आरएंडडी से लेकर इंफ्रास्ट्रक्चर तक, इंडस्ट्री को अपनी हिस्सेदारी बढ़ानी होगी। इसके लिए जो भी मदद आपको चाहिए, वो सरकार देने के लिए तैयार है।

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