पंचांग के मुताबिक 15 दिसंबर 2022 को सूर्य वृश्चिक राशि से धनु राशि में जाएंगे. सूर्य का धनु राशि में प्रवेश करना धनु संक्रांति कहलाती है. धर्मशास्त्र के अनुसार सूर्य का धनु राशि में जाना धनुर्मास (खरमास) कहलाता है. इसलिए धनुर्मास के दौरान एक माह तक शादी-विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन, भूमि पूजन जैसे सभी तरह के मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाती है.
हिन्दू धर्म में धनुर्मास का महीना तीर्थाटन व धर्म आराधना के लिए विशेष महत्वपूर्ण माना गया है. इस माह में शीतलहर, हिमपात, ठंड का बदला हुआ प्रभाव देखा जाता है.
ऐसी मान्यता है कि धनु राशि के सूर्य की साक्षी में धर्म तथा तीर्थ यात्रा करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.
धर्म ग्रंथों के अनुसार, धनुर्मास में मनुष्य की परीक्षा धर्म, तपस्या तथा आराधना के हिसाब से होती है. धनु संक्रांति के परिभ्रमण काल में भक्त सनातन धर्म का पालन करते हुए अनवरत भगवत भजन करते हैं और अपनी साधना एवं उपासना को आगे बढ़ाते हैं. मान्यता है कि इससे भक्तों को आदित्य लोक की प्राप्ति होती है.
पौष मास सूर्य उपासना के लिए है विशेष
हिंदू धर्म में पौष मास सूर्य उपासना के करने के लिए विशेष महत्व रखता है. शास्त्रों में मान्यता है कि पौष मास में सूर्योदय होने से पहले स्नान करने बाद के सूर्य देव को अर्घ्य देने से हर कामना पूरी हो सकती है. इसके साथ ही शरीर स्वस्थ रहता है और बुद्धि और वीरता का विकास होता है. इसके अलावा धनु संक्रांति पौष मास में ही पड़ती है, जिसके लिए पौष मास में सूर्य की आराधना को विशेष बताया गया है.
देवगुरु बृहस्पति की राशि धनु है
ज्योतिषों के अनुसार देवगुरु बृहस्पति के स्वामित्व वाली धनु राशि में जब सूर्य देव गोचर करते हैं, तो धर्म, संस्कृति व अध्यात्म से जुड़े नवीन काल खंड की संरचना होती है. इस परिस्थिति में भगवत भजन, तीर्थ यात्रा व कथा सुनने का महत्व काफी ज्यादा होता है.