सिखों को हिंसा और आतंक के लिए उकसाने के आरोप में खालसा TV पर लगा 50 लाख रुपए का जुर्माना

ब्रिटेन में एक मीडिया निगरानी संस्था ने खालसा टीवी (केटीवी) पर देश के सिख समुदाय को हिंसा और आतंकवाद के लिए परोक्ष रूप से उकसाने के मकसद से एक संगीत वीडियो और एक परिचर्चा कार्यक्रम प्रसारित करने के मामले में कुल 50,000 पौंड (50,24,022 रुपए) का जुर्माना लगाया है। ब्रिटेन सरकार द्वारा स्वीकृत मीडिया नियामक प्राधिकरण ‘संचार कार्यालय (ऑफकॉम)’ ने शुक्रवार को इस संबंध में आदेश जारी किया, जो फरवरी और नवंबर 2019 की जांच के परिणाम पर आधारित है।

अपने आदेश में संचार कार्यालय ने कहा कि केटीवी उसकी जांच को लेकर कार्यालय का बयान प्रसारित करे और इस तरह के संगीत वीडियो या परिचर्चा कार्यक्रम का प्रसारण फिर न करे। संचार कार्यालय ने आदेश में कहा, ”ऑफकॉम ने हमारे नियमों का पालन करने में विफल रहने पर खालसा टेलीविज़न लिमिटेड पर 20,000 पौंड और 30,000 पौंड का अर्थ दंड लगाया है। केटीवी पर 20,000 पौंड का जुर्माना संगीत वीडियो से संबंधित है और 30,000 पौंड का अर्थ दंड परिचर्चा कार्यक्रम को लेकर है।

वर्ष 2018 में चार, सात और नौ जुलाई को केटीवी ने ‘बग्गा एंड शेरा’ गाने के लिए एक संगीत वीडियो प्रसारित किया था। अपनी जांच के बाद संचार कार्यालय ने पाया कि संगीत वीडियो ब्रिटेन में रहने वाले सिखों से हत्या समेत हिंसा करने का परोक्ष आह्वान कर रहा है।

संचार कार्यालय ने पाया है कि टीवी पर परोसी जा रही सामग्री से दर्शकों को प्रभावित करने की कोशिश की जा रही थी, जो प्रसारण नियमों का उल्लंघन है। परिचर्चा कार्यक्रम 30 मार्च 2019 को ‘पंथक मसले’ के तौर पर प्रसारित हुआ था।

संचार कार्यालय ने पाया कि कार्यक्रम ने कई मेहमानों को ऐसे विचार रखने के लिए मंच दिया जो कार्रवाई का परोक्ष रूप से आह्वान करने और अपराध या अव्यवस्था के लिए उकसाने के समान थे। उसने कहा, ‘संचार कार्यालय ने यह भी पाया कि उसमें प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन बब्बर खालसा का भी संदर्भ था,

जिसे हमारे विचार से उसे वैध बनाने और उसके उद्देश्य एवं कृत्यों को दर्शकों की नज़र में सामान्य बनाने की कोशिश के तौर पर लिया जा सकता है।’ केटीवी ब्रिटेन में सिख समुदाय का बड़ा टेलीविजन चैनल है।

संचार कार्यालय को संगीत वीडियो और परिचर्चा कार्यक्रम को लेकर कई शिकायतें मिली थीं, जिसके बाद उसने जांच शुरू की। इस संगीत वीडियो में भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की तस्वीर थी।

इस बारे में संचार कार्यालय ने रेखांकित किया है कि ”वीडियो में भारतीय राज्य के खिलाफ हिंसक कृत्य की वकालत करने पर जोर दिया गया था। परिचर्चा कार्यक्रम पंजाबी में प्रसारित किया गया और संचार कार्यालय को उसका अंग्रेजी में अनुवाद कराना पड़ा।

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