कर्नाटक उच्च न्यायालय ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को मैसूर अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी (MUDA) घोटाले की जांच जारी रखने की अनुमति दी है। न्यायमूर्ति एम. नागप्रसन्ना की एकल पीठ ने 2 अप्रैल 2025 को यह आदेश दिया, जिसमें ईडी द्वारा की जा रही मनी लॉन्ड्रिंग जांच को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया गया।
यह मामला MUDA के अधिकारियों और अन्य व्यक्तियों पर सरकारी भूमि के अवैध आवंटन और बिक्री से संबंधित है, जिससे सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ। ईडी ने आरोप लगाया कि इन अवैध लेन-देन से प्राप्त धन को विभिन्न माध्यमों से सफेद धन में बदला गया, जो मनी लॉन्ड्रिंग का संकेत देता है।
याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि ईडी के पास इस मामले की जांच करने का अधिकार नहीं है, क्योंकि यह राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में आता है। हालांकि, न्यायालय ने पाया कि मनी लॉन्ड्रिंग एक गंभीर अपराध है और इसकी जांच के लिए ईडी को अधिकृत किया गया है। अदालत ने यह भी कहा कि ईडी की जांच में हस्तक्षेप करने का कोई ठोस आधार नहीं है।
इस निर्णय के साथ, ईडी अब MUDA घोटाले में अपनी जांच जारी रखेगा, जिसमें कई सरकारी अधिकारियों और निजी व्यक्तियों की संलिप्तता की संभावना है।