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“भीख में आज़ादी” वाले बयान पर कंगना ने की पद्मश्री वापस करने की पेशकश, कही ये बात

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बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनोट अपने “भीख में आज़ादी” वाले ब्यान को लेकर एक बार फिर चर्चा में है. उनके बयान के बाद पॉलिटिकल पार्टीज के साथ-साथ सोशल मीडिया पर कई लोग भी उनके पीछे पड़ गए हैं. पर फिर से कंगना ने इंस्टाग्राम पर स्टोरी लगा अपने बयान पर सफाई दी है.

बता दें कि कंगना ने टाइम नाउ नवभारत के इंटरव्यू में कहा था कि हमें भीख में आजादी मिली है. जिसके बाद उनके इस बयान पर हर तरफ आलोचना हो रही है. कई पॉलिटिकल पार्टीज का कहना है कि उनपर देशद्रोह का मुकदमा चलाया जाए. इसी बीच कंगना ने लंबी इंस्टाग्राम स्टोरी लगा कर अपने बयान को सही बताया है. उन्होंने लिखा है कि वह अपना पद्मश्री सम्मान वापस कर देंगी अगर कोई उन्हें ये बताएगा कि 1947 में क्या हुआ था.

उन्होंने एक कटिंग की फ़ोटो लगा कर लिखा है कि “सब कुछ बहुत स्पष्ट रूप से मेंशन है उसी इंटरव्यू में 1857 में पहली लड़ाई हुई थी स्वतंत्रता के लिए कई लोगों ने बलिदान दिया था जैसे सुभाष चंद्र बोस, रानी लक्ष्मी बाई और वीर सावरकर जी. 1857 मुझे पता है कौन सी लड़ाई 1947 में लड़ी गई थी, मैं इससे अवेयर नहीं हूं.

मैंने रानी लक्ष्मीबाई पर बनी फिल्म में काम किया है. 1857 की क्रांति पर काफी रिसर्च किया है. राष्ट्रवाद के साथ दक्षिणपंथ का भी उभार हुआ लेकिन अचानक से ये गायब कैसे हो गया? और गांधी ने भगत सिंह को क्यों मरने दिया.. आखिर क्यों नेता बोस की हत्या हुई और उन्हें गांधी जी सपोर्ट क्यों नहीं मिला. क्यों बंटवारे की रेखा अंग्रेज द्वारा खींची गई आजादी की खुशियां मनाने के बजाय भारतीय एक दूसरे को मार रहे थे. मुझे इन सभी सवालों के जवाब चाहिए जिसके लिए मुझे मदद की जरूरत है.

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