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अच्छा होता मोदी सरकार ‘सेंट्रल विस्टा’ प्रोजेक्ट के बजाय देश के हेल्थ सिस्टम को मजबूत करती

मौजूदा समय में पूरा देश कोरोना महामारी से लाचार है । लोग जिंदगी बचाने के लिए जूझ रहे हैं। इसके बावजूद मोदी सरकार करोड़ों-अरबों रुपये के अपने ‘ड्रीम प्रोजेक्ट’ को बनाने में व्यस्त है जो सिर्फ नेताओं और राजनीतिक दलों के ही काम आएगा । इसे हम सीधे यह भी कह सकते हैं कि सांसदों का यह ‘नया महल’ होगा जिससे जनता को सीधे तौर पर कुछ लेना देना नहीं है ।

अच्छा होता मोदी सरकार खुद भी इस प्रोजेक्ट को कुछ समय के लिए रोके जाने की पहल करती । जबकि कोरोना संकटकाल में देश के ‘कमजोर हेल्थ सिस्टम’ की वजह से सैकड़ों संक्रमित मरीजों को अपनी जान गंवानी पड़ी है, जिसको दुनिया ने देखा। कई देश हमारी स्वास्थ्य व्यवस्था का खूब जमकर ‘मजाक’ भी उड़ा रहे हैं । इन हालातों पर केंद्र सरकार के पास इसका कोई ‘जवाब’ नहीं है ।

आज हम आपको बताएंगे राजधानी दिल्ली में बनाए जा रहे मोदी सरकार के महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट ‘सेंट्रल विस्टा’ की । कोरोना संकटकाल से बिगड़ी व्यवस्था के बीच सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर रोक लगाने की मांग हो रही है। इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर दिया था। अब सर्वोच्च अदालत की सलाह पर दिल्ली हाईकोर्ट इस मामले में सुनवाई के लिए तैयार हो गया है। आज इस पर दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई होनी थी लेकिन किन्ही कारणों से नहीं हो सकी, अब इस मामले में बुधवार को हाईकोर्ट फैसला सुनाएगा ।

बता दें कि मंगलवार को केंद्र सरकार ने कोर्ट में अपना जवाब पेश किया। आइए आपको बताते हैं सेंट्रल विस्टा क्या है। इस प्रोजेक्ट के तहत राजधानी दिल्ली में ‘नया संसद भवन’ बनाया जा रहा है। विपक्षी दल नए संसद भवन, सरकारी ऑफिस और प्रधानमंत्री आवास बनाए जाने का विरोध करते रहे हैं। सोशल मीडिया पर भी लोगों ने इस प्रोजेक्ट का यह कहते हुए विरोध किया कि महामारी के दौरान इसको रोक दिया जाना चाहिए। इस संकट काल में लोगों को हॉस्पिटल्स, ऑक्सीजन, वैक्सीन और दवाओं की किल्लत है। पहले केंद्र सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए । कांग्रेस समेत विपक्ष के नेता इस नए संसद भवन के निर्माण को लेकर कई दिनों से विरोध कर रहे हैं ।

राहुल गांधी ने पिछले दिनों ट्वीट करते हुए लिखा था कि ‘सेंट्रल विस्टा एक आपराधिक बर्बादी है, इसलिए लोगों की जिंदगी को बचाने पर ध्यान दें न कि एक नए घर को पाने के लिए अपने अंधे अहंकार को महत्व दें’। बता दें कि यह प्रोजेक्ट 2024 के लोकसभा चुनाव के पहले दिल्ली में सरकारी इमारतें और कुछ आवास बनाए जाने हैं। इसके लिए राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक का करीब चार किलोमीटर का क्षेत्र चुना गया थे

बता दें कि सेंट्रल विस्टा के तहत एक नए संसद भवन और आवासीय परिसर का निर्माण किया जाएगा। इसमें प्रधानमंत्री और उप राष्ट्रपति के आवास के साथ कई नए कार्यालय भवन और मंत्रालय के कार्यालयों के लिए केंद्रीय सचिवालय का निर्माण किया जाना है। गौरतलब है कि सेंट्रल विस्टा परियोजना की सितंबर 2019 में घोषणा की गई थी। 10 दिसंबर 2020 को प्रधानमंत्री मोदी ने परियोजना की ‘आधारशिला’ रखी थी।

इस पुनर्विकास परियोजना में नए संसद भवन का निर्माण प्रस्तावित है। इस परियोना के तहत बनने वाली संसद भवन की नई इमारत करीब 65,400 स्क्वायर मीटर में बनाई जाएगी और यह भव्य कलाकृतियों से युक्त होगी। इमारत का एक तिकोना ढांचा होगा और इसकी ऊंचाई पुरानी इमारत जितनी ही होगी।

इसमें एक बड़ा संविधान हॉल, सांसदों के लिए एक लाउन्ज, एक लाइब्रेरी, कई कमेटियों के कमरे, डाइनिंग एरिया जैसे कई कम्पार्टमेंट होंगे। राष्ट्रपति भवन, मौजूदा संसद भवन, इंडिया गेट और राष्ट्रीय अभिलेखागार की इमारत को वैसा ही रखा जाएगा। इस परियोजना के तहत पुराने गोलाकार संसद भवन के सामने गांधीजी की प्रतिमा के पीछे नया ‘तिकोना संसद भवन’ बनेगा। नए संसद भवन में दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा के लिए एक-एक इमारत होगी, लेकिन सेंट्रल हॉल नहीं बनेगा।

प्रधानमंत्री के नए आवास को 15 एकड़ भूमि पर बनाया जाएगा। नए संसद भवन में लोकसभा चैंबर में 888 सदस्यों के बैठने की क्षमता होगी, जबकि राज्यसभा में 384 सीट होंगी। इसके साथ मंत्रालयों का साझा केंद्रीय सचिवालय बनाने के लिए शास्त्री भवन, उद्योग भवन, निर्माण भवन, कृषि भवन सहित कई अन्य इमारतें भी गिराई जाएंगी।

मोदी सरकार चाहती है कि साल 2024 में लोकसभा चुनाव होंगे और नए जीते हुए सांसद इसी संसद भवन में बैठें। लेकिन महत्वपूर्ण सवाल यह भी है कि अगली बार होने वाले लोकसभा चुनाव में पता नहीं कौन सी पार्टी की केंद्र में सरकार बने ।

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