इंटरपोल ने भगोड़े बिजनेसमैन मेहुल चोकसी के खिलाफ जारी रेड कॉर्नर नोटिस (आरसीएन) हटा लिया है. यह सीबीआई और ईडी के के लिए बड़ा झटका है. इसका मतलब यह है कि 2 अरब डॉलर के पंजाब नैशनल बैंक (पीएनबी) धोखाधड़ी में वॉन्टेड हीरा कारोबारी अब इंटरपोल के लिए वॉन्टेड नहीं है. यह फैसला चोकसी द्वारा एंटीगुआ हाई कोर्ट में एक याचिका दायर करने के बाद आया है. इसमें भारत सरकार को प्रतिवादी बनाया गया है.
पंजाब नेशनल बैंक से 13,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की धोखाधड़ी के आरोपी चोकसी ने हाल ही में एंटीगुआ हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की थी, जिसमें भारत सरकार और दो भारतीय एजेंटों पर जून 2021 में उसे एंटीगुआ से अगवा करने और जबरन डोमिनिकन रिपब्लिक ले जाने का आरोप लगाया था.
इसी घटना और चोकसी की अर्जी ने इंटरपोल के फैसले को उलटने में महती भूमिका निभाई क्योंकि अधिकारियों का मानना था कि रेड नोटिस के आधार पर भारत प्रत्यर्पण पर चोकसी को सुनवाई से वंचित कर सकती है. सूत्रों का कहना है कि एंटीगुआ वाली घटना उसे वहां से निकलाने की कोशिश थी.
रेड नोटिस ने चोकसी को 192 सदस्य देशों में भगोड़ा घोषित कर दिया और एंटीगुआ पासपोर्ट पर 32 देशों में बिना वीजा के यात्रा को भी बैन कर दिया. नोटिस को वापस लेने जिसे रेड कॉर्नर नोटिस या आरसीएन के रूप में भी जाना जाता है का मतलब है चोकसी अब दुनिया भर में स्वतंत्र रूप से यात्रा कर सकता है.
हालांकि माना जा रहा है कि वो एंटीगुआ में ही रहेगा. सीबीआई अधिकारियों ने इंटरपोल के फैसले पर प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया. सूत्रों ने कहा कि एजेंसी के लिए ये इतना बड़ा झटका नहीं है क्योंकि मेजबान देश रेड नोटिस के बावजूद भी उसे भारत को सौंपने के लिए तैयार नहीं था.
एंटीगुआ कोर्ट में अपनी याचिका में चोकसी ने दावा किया था कि 23 मई 2021 को उसे बारबरा नाम की एक महिला से डिनर पर मिलने के बहाने किडनैप कर लिया गया. उसने शिकायत में बताया कि उसे व्हीलचेयर पर बांधकर सिर पर हुड लगा दिया गया. उसे एक नाव में लेकर जाया गया और इस दौरान उसे प्रताड़ित किया गया.
उसने दावा किया कि उसे डोमिनिका ले जाया गया. पोर्ट्समाउथ हार्बर पहुंचने पर एक कॉस्ट गार्ड ने उसे सहारा गिया, जहां सीनियर पुलिस अधिकारी उसे हिरासत में लेने का इंतजार कर रहे थे. चोकसी ने अपनी याचिका में भारत में जेल की स्थिति, उसकी व्यक्तिगत सुरक्षा और स्वास्थ्य जैसे मुद्दों को भी उठाया था.