भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के आज कई ऐसे भाग है जहां शिक्षा का अभाव है. अगर देश में ही हम बात करें तो कई ऐसे दूरदराज क्षेत्र जहां बच्चों को शिक्षा पाने के लिए बहुत दूर जाना पड़ता है. यही कारण है कि आज भी बच्चों को शिक्षा का अधिकार नहीं मिल पाता है. जबकि शिक्षा प्रत्येक बच्चे का मूल अधिकार है. लेकिन आज भी दुनिया भर के कई हिस्सों में बच्चों तक शिक्षा नहीं पहुंच पाती है.
इसी को ध्यान में रखते हुए अंतरराष्ट्रीय शिक्षा दिवस (इंटरनेशनल एजुकेशन डे) मनाने का फैसला किया गया था. पूरे विश्व में शिक्षा का दायरा बढ़ाने के लिए हर साल 24 जनवरी के दिन अंतरराष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाया जाता है. यह इंटरनेशनल डे ऑफ एजुकेशन मनाने का उद्देश्य यह है कि शिक्षा को पूरे विश्व में सब की भलाई के लिए मजबूत किया जाए. तीसरी दुनिया के कई देशों में गरीबी और अशिक्षा का आंकड़ा बिल्कुल एक जैसा है. जिससे पता चलता है कि अशिक्षा का एक बड़ा कारण गरीबी है. संयुक्त राष्ट्र गरीबी उन्मूलन की दिशा में काम कर रहा है. इसके साथ ही संयुक्त राष्ट्र का ध्यान इस पर भी है कि गरीबी का शिक्षा पर असर कम से कम पड़े.
अंतरराष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाने की शुरुआत साल 2019 से हुई थी
हर साल अंतरराष्ट्रीय शिक्षा दिवस एक थीम के साथ मनाया जाता है. इस साल के थीम ‘चेंजिंग कोर्स, ट्रांसफॉर्मिंग एजुकेशन’ है. थीम का उद्देश्य पिछले दो वर्षों के प्रभाव को विश्व स्तर पर शिक्षा को देखने के तरीके को समझना और शिक्षा को एक बार फिर से सभी के लिए सुलभ बनाने के लिए नए और अभिनव तरीके खोजना है. आपको बता दें कि 3 दिसंबर 2018 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने पारित एक प्रस्ताव द्वारा 24 जनवरी को अंतरराष्ट्रीय शिक्षा दिवस घोषित किया गया था.
इसके बाद 24 जनवरी 2019 को पहला अंतरराष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाया गया. अगर हम अपने देश की बात करें तो आज कई राज्यों में ऐसे भी दूरदराज क्षेत्र हैं जहां आज बच्चे अपने मूलभूत अधिकार से दूर हैं. अलग-अलग राष्ट्रों में इस दिवस को कई तरीकों से मनाया जाता है.