ओडिशा के बालासोर जिले के बहानगा ट्रेन हादसे को लेकर कई दर्दनाक कहानियां सामने आ रही हैं, जिसमें किसी के पूरे परिवारों का सफाया हो गया, तो कुछ ने अपने प्रियजनों को खो दिया , तो कई मासूम बच्चे अनाथ भी हो गए। साथ ही ऐसे लोग भी हैं जो दुर्घटना में शामिल हुए हैं और गंभीर रूप से घायल हुए हैं, उनके साथ अभी भी उनके जीवन का अनमोल उपहार है।
एक रिपोर्ट के अनुसार रेस्क्यू वर्कर्स स्कूल के कमरे में गए और लाशों को हटाने लगे थे। इसी दैरान लाशों के ढेर के बीच एक रेस्क्यू वर्कर चल रहा था कि उसे लगा कि किसी ने उसका पैर पकड़ लिया है। इसके बाद उसे धीमी आवाज़ में सुनाई दिया, ‘मैं ज़िन्दा हूं, मरा नहीं, थोड़ा पानी पिला दो भाई। पहले तो रेस्क्यू वर्कर सिहर गया, उसे यकीन नहीं हुआ, लेकिन फिर उसने हिम्मत कर उस तरफ देखा।
35 साल का रॉबिन लाशों के बीच पड़ा था। वो हरकत करने की कोशिश कर रहा था, खुद को बचाने की मिन्नतें कर रहा था। रेस्क्यू वर्कर्स ने उसकी जान बचाई और तुरंत उसे अस्पताल भेजा । रॉबिन द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक वो चरनाखेली गांव का रहने वाला है और 7 लोगों के साथ सफ़र कर रहा था। कोरोमंडल एक्स्प्रेस से सभी काम की तलाश में आंध्र प्रदेश जा रहे थे। रॉबिन की हालत गंभीर है और मेदनीपूर मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में उसका इलाज चल रहा है। रॉबिन के बाकी दोस्त अभी भी लापता हैं।