एक नज़र इधर भी

कितने की स्पीड से चलेगी ट्रेन कैसे तय करता है लोको पायलट! जानिए

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सांकेतिक फोटो

क्या आपने कभी सोचा है कि लोको पायलट को ये कैसे पता चलता है कि ट्रेन को कितने की स्पीड पर लेकर आगे जाना है. आपने देखा ही होगा कि कई बार ट्रेन अचानक तेज चलने लगती है और फिर थोड़ी ही देर में बिलकुल धीमी हो जाती है.

वैसे तो इसमें सिग्नल के ग्रीन, येलो या रेड होने का अहम /योगदान होता है. लेकिन फिर भी एक सवाल मन में रह जाता है कि ट्रेन की एग्जेक्ट स्पीड आखिर कैसे तय होती है. बहुत कम ही लोग इस बारे में जानते होंगे कि आखिर ट्रेन की अधिकतम स्पीड लोको पायलट कैसे तय करता है.

यह मुख्यत: 2 बातों पर निर्भर करता है कि कोई ट्रेन किसी सेक्शन में अधिकतम कितने की स्पीड से चलेगी. ये दोनों ही बातें एक-दूसरे से जुड़ी हुई हैं. सबसे पहले ट्रेन की स्पीड इस बात से इस बात पर निर्भर करती है कि उस सेक्शन में अधिकतम कितनी गति से चलने की अनुमति दी गई है.

मान लीजिए किसी सेक्शन में ट्रेन की अधिकतम स्पीड 90 किलोमीटर प्रति घंटा ही हो सकती है. तो ट्रेन ज्यादा से ज्यादा उतनी स्पीड तक ही चलेगी. भले ही ट्रेन की खुद की अधिकतम स्पीड 130 किलोमीटर प्रति घंटा ही क्यों न हो. इस बारे में सारी जानकारी लोको पायलट को ट्रेन ले जाने से पहले टाइम टेबल में दी जाती है.

ट्रेन की खुद की स्पीड
दूसरा फैक्टर होता है ट्रेन की खुद की अधिकतम स्पीड. अगर किसी सेक्शन की अनुमति प्राप्त अधिकतम स्पीड 130 किलोमीटर है लेकिन ट्रेन की अपनी सर्वोच्च स्पीड केवल 90 किलोमीटर प्रति घंटा है तो फिर वह ट्रेन उतनी ही गति से चल पाएगाी. ट्रेन की स्पीड को कब अधिकतम और न्यूनतम पर ले जाना है यह सिग्नल से पता चलता है. ग्रीन सिग्नल होने पर ट्रेन फुल स्पीड से निकल सकती है. वहीं, येलो सिग्नल का मतलब होता है कि स्पीड को घटा दें और अगले सिग्नल पर स्टॉप (रेड सिग्नल) के लिए तैयार रहें.

येलो सिग्नल पर कितनी गिरानी होती है स्पीड
भारतीय रेलवे के अनुसार, जहां ऑटोमैटिक सिग्नल काम कर रहे होते हैं वहां पीला सिग्नल देखते ही लोको पायलट को स्पीड 30 किलोमीटर प्रति घंटे घटा देनी चाहिए. उसे तब तक ट्रेन को उसी स्पीड पर चलाना चाहिए जब तक की आगे सिग्नल ग्रीन नहीं मिल जाता. अगर धुंध व कोहरा है तो ऑटोमैटिक सिग्नल वाले रास्ते पर ट्रेन की स्पीड ग्रीन सिग्नल होने पर भी 60 किलोमीटर प्रति घंटे से अधिक नहीं होनी चाहिए.

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पटना: जिले के नौबतपुर के तरेत पाली में बागेश्वर धाम (Bageshwar Dham) के पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री (Dhirendra Krishna Shastri) पहुंचे हुए हैं. 13 मई से हनुमंत कथा (Hanumant Katha) आयोजित है. वहीं, सोमवार को उन्होंने दिव्य दरबार लगाया. इस दौरान उन्होंने टेंट से कई लोगों को बुलाया. किसी के नाम से तो किसी के वेशभूषा से उन्होंने मंच पर बुलाया और लोगों से परेशानी पूछा. इससे पहले पर्चा में वो समस्या लिख लेते थे. लोगों को पर्चा में लिखे समस्या को पढ़ाते और फिर उसका समाधान बताया. इस दौरान सफेट टीशर्ट वाले बालक को उन्होंने बुलाया. पूछा कि कहां से आए हो तो उसने कहा कि मधेपुरा से आया हूं. लड़के ने कहा कि इंटर में फेल हो गया. माइंड एक जगह नहीं रहता है. इस पर धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि अब क्या चाहते हो हम पास करा दें? व्यापार में सफलता मिलेगी. गलत संगत में पड़ गए थे. मकान बनेगा. मन शांत भी होगा.

दिव्य दरबार में धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने अंकित नाम के युवक को बुलाया. उन्होंने कहा कि टी शर्ट पहना हुआ है. मंच पर युवक के पहुंचने पर उन्होंने पूछा कि कहां से आए हो. युवक ने झारखंड से बताया. उन्होंने कहा कि कैरियर के सवाल लेकर आए हो. पर्चा में उन्होंने लिखा कि व्यापार के तरफ जाओ. क्रिकेट में कैरियर नहीं है. घर में परेशानी डेढ़ सालों से ज्यादा बनी हुई है. इसके बाद धीरेंद्र शास्त्री बिना माइक के युवक को कुछ सुझाव भी दिए.

मीना नाम की महिला को बुलाया. सबसे पहले उन्होंने नाम पूछा. महिला से पूछा कि क्या परेशानी है तो महिला ने कहा कि बालक को मिर्गी होती है. इसके बाद बाबा ने कहा कि महिला को पैर में दर्द बना हुआ है. बालक को झटका बना हुआ है. इसके बाद उन्होंने मंत्र बताया और कहा कि बाला जी में पेशी से कल्याण होगा. वहीं, चश्मा लगाए एक युवक को बुलाया. उन्होंने पूछा कि कहां से हो? युवक ने कहा कि पटना सिटी से आए हैं. उसके बाद पूछा कि ‘का हाल बा हो’ धीरेंद्र शास्त्री ने पर्चा पढ़ा. कहा कि दो सवाल लेकर आए हो. व्यापार में तरक्की और सफलता के सवाल लेकर आए हो. इसके बाद उन्होंने कहा कि उपाय लिख दिया है. इससे अब ठीक होगा.

इसके बाद रीना नाम के महिला को बुलाया. पूछा कि कहां से आई हो तो उन्होंने कहा कि बक्सर से आई हूं. महिला बड़े लड़के की सरकारी नौकरी को लेकर सवाल की. महिला ने कहा कि छोटा वाले लड़के की किसी से बनती नहीं है. महिला पढ़ी-लिखी नहीं थी इसलिए दूसरे युवक को धीरेंद्र शास्त्री ने बुलाया. धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि पुत्र का कल्याण होगा. उसकी नौकरी लगेगी. 2026 तक योग है.

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