बाजारों में मस्ती छा गई है. सड़कों के किनारे दुकानदारों की रंग, अबीर-गुलाल की दुकानें सजी हुई हैं. मौसम भी रंग-बिरंगा हो चला है. नौकरी, पेशा वाले लोग अपने-अपने घरों पर पहुंच गए हैं. आज भी हजारों लाखों लोग घरों की ओर जाने के लिए रेलवे स्टेशन, बस स्टेशनों और अपने प्राइवेट साधन से रवाना हो गए हैं. सड़कों पर बैग, सूटकेस उठाए हुए सड़कों पर हजारों लोगों की भीड़ है. यह सब नजारे जो है पिछले कुछ दिनों से सड़कों पर देखे जा सकते हैं. आज हम बात करेंगे रंगों के सबसे बड़े पर्व (त्योहार) होली की. खुशियों, उमंग और उल्लास में देश सराबोर है.
यह एक ऐसा त्योहार है जो सभी को आपसी भाईचारे और प्रेम से जोड़ता है. इस पर्व में गिले-शिकवे भुलाकर गले मिलते हैं. होली पर आधारित खाने की बात न हो तो यह त्योहार अधूरा है. इस पर्व पर गुजिया घरों में बनाई जाती है. की वजह से ही होली पर घर आने वाले पड़ोसियों, रिश्तेदारों और दोस्तों का स्वागत भी किया जाता है. महिलाएं घरों में गुजिया, पापड़, दही-बड़े आदि पकवान बनाने में व्यस्त हैं. आज होलिका दहन है। कल रंग वाली (धुलेड़ी) होली खेली जाएगी.
सोशल मीडिया पर होली की शुभकामनाएं संदेश आना शुरू हो गए हैं
होली को लेकर सुबह से ही सोशल मीडिया, फेसबुक, व्हाट्सएप आदि पर शुभकामनाओं के संदेश आना-जाना शुरू हो गए हैं. वरिष्ठ लोग पुरानी समय की होली को भी याद कर रोमांचित हो रहे हैं. वैसे यह भी सच है आज और उस दौर की होली में बड़ा अंतर आया है. हाल के कुछ वर्षों में रंगों का यह त्योहार कुछ ही घंटों में सिमटकर रह गया है. उस दौर में होली की मस्ती कई दिनों तक छाई रहती थी. रेडियो और टेलीविजन पर होली के गीत कई दिनों तक बजते थे. लेकिन समय के साथ होली में भी बदलाव आया है. खैर यह तो सदियों से चला रहा है जो आज है वह कल नहीं रहेगा. आइए अब बात को आगे बढ़ाते हैं और होली के पर्व पर कुछ मिठास भरी बातें करते हैं. दोस्तों जैसे आपको मालूम ही है पिछले दो वर्षों से होली का त्योहार कोरोना महामारी और लॉकडाउन की वजह से फीका रहा था. सार्वजनिक स्थानों पर होली की धूम देखने को नहीं मिली. इस बार कोरोना का संक्रमण का प्रभाव कम होने से घरों बाजारों में मस्ती छाई है.
–शंभू नाथ गौतम