ओलंपिक में हैट्रिक जमाने वाली हॉकी महिला खिलाड़ी वंदना कटारिया को पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित किया गया है. टोक्यो ओलंपिक में भारतीय महिला हॉकी टीम की खिलाड़ी वंदना कटारिया ने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ मैच में ऐतिहासिक हैट्रिक लगाई. इसी के साथ कटारिया ओलंपिक के 125 साल के इतिहास में हॉकी में हैट्रिक लगाने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बन गईं.
वंदना उत्तराखंड के हरिद्वार जिले की रहने वाली हैं. पिछले साल ओलंपिक से वापस लौटने के बाद वंदना कटारिया को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने स्टेट डिपार्टमेंट ऑफ वीमेन एंपावरमेंट और चाइल्ड डेवलपमेंट का ब्रॉड एम्बेसेडर बनाया था.
साथ में 25 लाख रुपए का ईनाम भी दिया गया था. इससे पहले वंदना ने 2018 के एशियाई खेलों में रजत पदक जबकि 2017 के एशियाड में स्वर्ण पदक जीता था.
वंदना के लिए हॉकी खिलाड़ी बनना बिल्कुल भी आसान नहीं रहा.ओलंपियन वंदना ने भारतीय खिलाड़ी बनने का सपना हरिद्वार के रौशनबाद में देखा था. कभी हॉकी स्टिक नहीं रही तो कभी जूते नहीं थे, मगर हॉकी को लेकर अपने लक्ष्य हासिल करने के लिए वह पागल थी. उन्हें सबसे बड़ा झटका तब लगा जब वह ओलंपिक के सपने को जी रही थी. ओलंपिक से पहले उनके पिता का निधन हो गया था.
जिस वक्त वंदना के पिता की मृत्यु हुई, उस वक्त वंदना बैंगलुरू में टोक्यो ओलिंपिक की तैयारियों में जुटी हुई थीं. पिता ने वंदना के सपनों को उड़ान देने में कोई कसर नहीं छोड़ी. वंदना के पिता का सपना था कि बेटी एक दिन भारत के लिए ओलंपिक गोल्ड मेडल जीते. ऐसें घर से दूर तैयारी कर रही वंदना को पिता के निधन की खबर मिली.
वंदना के सामने पिता के अंतिम दर्शन की इच्छा के साथ साथ पिता के सपने को साकार करने की अलख जल रही थी. इस मौके पर टूट चुकी वंदना को भाई पंकज और मां सोरण देवी ने संभाला.