हिंदू धर्म आचार्य सभा ने समलैंगिक विवाह को सनातन धर्म संस्कृति और भारतीय सांस्कृतिक व्यवस्था के खिलाफ बताया है। सभा ने इसे पूरी तरह अस्वीकार किया है। साथ हि सभा प्रतिनिधि श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि ने इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को एक पत्र लिखा है।
इंटरनेट मीडिया में जारी पत्र में कहा गया है कि भारत केवल 146 करोड़ जनसंख्या का देश नहीं है, बल्कि यह प्राचीन वैदिक सनातन धर्म-संस्कृति, परंपरा और आद्य मानवीय संवेदनाओं की धरोहर है। जहां विवाह एक अत्यंत पवित्र कल्याणकारी संस्कार है।
जो स्त्री पुरुष को वंश वृद्धि, पारिवारिक मूल्यों के संरक्षण और सामाजिक उत्तरदायित्वों के भीतर एकीकृत करता है। इसलिए समलैंगिकता का वैधीकरण विवाह भारत जैसे देश में भीषण विसंगतियों का कारण बनकर भारत राष्ट्र की दिव्य वैदिक मान्यताओं, सांस्कृतिक प्रथाओं और सामाजिक विकास की विविध साधन पद्धतियों को ध्वस्त कर मानवीय अस्तित्त्व के लिए अनिष्टकारक सिद्ध होगा।