महाराष्ट्र सरकार ने कक्षा 1 से 5 तक के छात्रों के लिए हिंदी को अनिवार्य तीसरी भाषा बनाने के अपने निर्णय को वापस ले लिया है। राज्य के शालेय शिक्षा मंत्री दादाजी भुसे ने मंगलवार को यह घोषणा की, जिसमें उन्होंने स्पष्ट किया कि हिंदी अब वैकल्पिक विषय के रूप में पढ़ाई जाएगी, न कि अनिवार्य रूप से।
यह निर्णय राज्य सरकार द्वारा 16 अप्रैल को जारी एक सरकारी आदेश के बाद आया, जिसमें हिंदी को कक्षा 1 से 5 तक के छात्रों के लिए अनिवार्य तीसरी भाषा घोषित किया गया था। इस आदेश के खिलाफ विभिन्न राजनीतिक दलों, शिक्षाविदों और अभिभावकों द्वारा विरोध प्रकट किया गया, जिसके परिणामस्वरूप सरकार ने अपने निर्णय पर पुनर्विचार किया।
शिक्षा मंत्री भुसे ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के तहत, राज्यों को तीसरी भाषा के चयन में लचीलापन दिया गया है। उन्होंने यह भी बताया कि यदि किसी कक्षा में 20 से अधिक छात्र किसी अन्य भाषा को तीसरी भाषा के रूप में पढ़ना चाहते हैं, तो स्कूल उस भाषा के शिक्षक की व्यवस्था करेगा।
इस निर्णय से छात्रों को अपनी पसंद की भाषा चुनने की स्वतंत्रता मिलेगी, जिससे वे अपनी मातृभाषा और अंग्रेजी के साथ-साथ एक अन्य भारतीय भाषा में भी दक्षता प्राप्त कर सकेंगे।