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हाईकोर्ट की केंद्र सरकार और वैक्सीन कंपनियों को फटकार, टीकों की अलग-अलग कीमत पर मांगा जवाब

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सांकेतिक फोटो

केंद्र और राज्य सरकारों के लिए कोरोना वैक्सीन की अलग-अलग कीमतों और टीकाकरण रणनीति को चुनौती देने वाली याचिका पर राजस्थान हाई कोर्ट ने केंद्र, राज्य और वैक्सीन उत्पादकों से जवाब मांगा है। जस्टिस सबीना और जस्टिस एमके व्यास की डिवीजन बेंच मुकेश शर्मा की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। 

याचिका में कहा गया है कि वैक्सीन उत्पादक सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के टीके कीविशील्ड को सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन (CDSCO) की ओर से 3 जनवरी को इमर्जेंसी अप्रूवल दिया गया था। यह कहा गया कि वैक्सीन केंद्र सरकार को 150 रुपए प्रति डोज के हिसाब से बेची जाएगी।

भारत बायोटेक की ओर से देश में विकसित वैक्सीन को भी आपातकालीन मंजूरी दी गई। यह बताया गया कि वैक्सीन भारत सरकार को 150 रुपए प्रति डोज की दर से दी जाएगी। 

शुरुआत में टीकाकरण की प्रक्रिया 16 जनवरी से सभी हेल्थकेयर वर्कर्स के लिए खुली थी। इसके बाद 60 साल से अधिक उम्र के सभी लोगों और 45 साल तक के उन लोगों को शामिल किया गया जो दूसरी गंभीर बीमारियों से ग्रस्त हैं। 1 अप्रैल से 45 साल से अधिक उम्र के सभी लोगों को शामिल किया गया।

हाल ही में केंद्र सरकार ने वैक्सीन रणनीति और उदार कीमत निर्धारण को मंजूरी दी। सरकार ने कहा है कि 1 मई से वैक्सीन उत्पादक 50 फीसदी उत्पाद केंद्र सरकार को देंगे जबकि शेष 50 फीसदी को वह राज्य सरकारों और दूसरे प्राइवेट चैनल्स को बेच सकते हैं। 

शर्मा ने कहा, ”नई नीति के बाद वैक्सीन उत्पादकों ने नई कीमतों का ऐलान किया है। सीरम ने कहा है कि वह केंद्र सरकार को पुराने दर पर वैक्सीन देगी जबकि राज्य सरकारों को 400 रुपए प्रति डोज और निजी अस्पतालों को 600 रुपए प्रति डोज के हिसाब से टीका दिया जाएगा।

भारत बायोटेक ने राज्यों के लिए 600 रुपए प्रति डोज और निजी अस्पतालों के लिए 1200 रुपए प्रति डोज की कीमत निर्धारित की है। यह संविधान की धारा 14 और 21 की भावना के खिलाफ है।”

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