विधानसभा चुनाव के लिए अपने आप को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करने के लिए हरीश रावत हाईकमान से अपनी इच्छा जाहिर कर चुके हैं. दूसरी ओर राज्य कांग्रेस में काफी समय से नेता दो गुटों में बंटे हुए हैं. नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह और हरीश रावत के बीच मनमुटाव जग जाहिर है. प्रीतम सिंह नहीं चाहते कि कांग्रेस हरीश रावत को सीएम का चेहरा बनाकर चुनावी मैदान में उतरे बल्कि सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ने की वकालत कर रहे हैं. वहीं हरीश रावत शुरू से अपने आप को सीएम के चेहरे के रूप में प्रकट कर रहे थे.
ऐसे में हरीश रावत ने खुद को सीएम की रेस से बाहर करते हुए ‘दलित कार्ड’ खेल दिया है, जिस का प्रीतम सिंह भी विरोध नहीं कर सके, लेकिन उन्होंने इशारों में कहा कि राज्य में दलित मुख्यमंत्री जरूर बनना चाहिए था. 2002 में बनना चाहिए था, 2012 और 2013 में भी बनना चाहिए था. यही नहीं प्रीतम सिंह ने कहा है कि ‘बहुत देर कर दी हुजूर आते-आते’.
दूसरी ओर उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने हरीश रावत के दलित मुख्यमंत्री बनाने वाले बयान का समर्थन किया है. अब आइए जान लेते हैं राज्य में दलितों की आबादी का अनुपात. उत्तराखंड में अनुसूचित जाति की आबादी 18.50 फीसदी के करीब है. 2011 की जनगणना के मुताबिक राज्य में अनुसूचित जाति की जनसंख्या 18,92,516 है। उत्तराखंड के 11 पर्वतीय जिलों में दलित आबादी 10.14 लाख है जबकि तीन मैदानी जिलों देहरादून, हरिद्वार और ऊधम सिंह नगर में 8.78 लाख है.सूबे में सबसे ज्यादा अनुसूचित जाति वर्ग की आबादी हरिद्वार जिले में 411274 है.