वर्ष 1551 से व्यास पीठ स्थापित किया गया था, जिससे मां शृंगार गौरी की पूजा, भोग, आरती होती रहती थी। लेकिन 1993 में राज्य सरकार ने आदेश जारी करके पूजा-पाठ और परंपराएं बंद करवा दी और ज्ञानवापी परिसर को बैरिकेडिंग से घेर लिया गया। तत्कालीन जिलाधिकारी ने तहखाने में ताला लगा दिया और पूजारी पंडित सोमनाथ व्यास के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया।
1996 में दायर आदिविश्वेश्वर बनाम राज्य सरकार के वाद में नियुक्त अधिवक्ता आयुक्त ने रिपोर्ट में एक तहखाने के ताले की दो चाबी का उल्लेख किया था। जिलाधिकारी ने ताला न खोलने पर, व्यास पीठ के पंडित सोमनाथ व्यास ने एक चाबी से ताला खोला और ज्ञानवापी परिसर में हुए एएसआई सर्वे के दौरान नंदी जी के सामने स्थित तहखाने का दरवाजा खुला किया था।