देहरादून स्थित ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी के परिसर में रविवार को दीक्षांत समारोह आयोजित किया गया. जिसमे मुख्य अतिथि अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) के चेयरमैन डॉ. अनिल डी. सहस्रबुद्धे रहे. समारोह के दौरान 5317 युवाओं को उपाधियां प्रदान की गईं.
इस दौरान पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि “यूनाइटेड नेशन पूरी दुनिया को एक परिवार कहता है, हमारे देश में वसुधैव कुटुम्बकम का यह विचार हजारों साल पहले से है. नई शिक्षा नीति इसी आधार पर बनायी गई है और खुद प्रधानमंत्री मोदी जी समय समय पर इस पर चिंतन और इसकी समीक्षा करते हैं. नई शिक्षा नीति का एक साल होने पर मोदी जी ने चिंतन किया कि आत्मनिर्भरता के लिए ये शिक्षा नीति कैसे काम कर सकती है. चिंतन में यह तथ्य सामने आया कि विश्वविद्यालयों को मल्टी डिसिपिनसरी होना चाहिए. अनेक विषयों को एक साथ पढ़ाया जाना चाहिए. गणित के साथ म्यूजिक हो सकता है. छात्रों के सर्वागीण विकास के लिए ये जरूरी है. मुझे खुशी है कि ग्राफिक एरा में मल्टी डिसिपिनरी विषयों की शिक्षा दी जाती है.
उन्होंने आगे कहा कि “यह दीक्षांत नहीं, बल्कि दीक्षा है. जिंदगी का असली प्रारंभ यहां से होता है. इसके बाद युवा समाज में जाएंगे, जहां उनकी शिक्षा की असली परीक्षा होगी. डॉ सहस्रबुद्धि ने कहा कि वे जानते हैं कि ग्राफिक एरा में प्रारंभ से ही इन चीजों की शिक्षा दी जाती है. यहां से बाहर जाने वाले युवा बाहर जाएंगे, तो झंडा ऊंचा करेंगे. एलुमिनाई संस्था के लिए कुछ करके अपनी गुरू दक्षिणा देनी चाहिए। अपने माता पिता, गुरू और समाज के प्रति अपने कर्तव्य याद रखने चाहिए.
समारोह में ओलंपियन हॉकी खिलाड़ी रुपिंदर पाल सिंह, स्टार बैडमिंटन खिलाड़ी साइना नेहवाल, परमार्थ निकेतन के स्वामी चिदानंद और वानिकी विशेषज्ञ डॉ. जे पी चंद्रा को मानद उपाधियों से अलंकृत किया गया.