उच्च हिमालयी क्षेत्र निर्माणाधीन सेला-बॉलिंग मार्ग में भारी मात्रा में ग्लेशियर आने से आवाजाही ठप हो गई है। करीब 10 किमी क्षेत्र में जगह-जगह ग्लेशियर आने से सड़क बंद हो गई है। पंचाचूली गए चार युवकों ने इसका खुलासा किया है। सड़क बंद होने से भारत-चीन सीमा पर तैनात जवानों के लिए आवाजाही करना मुश्किल हो गया है। वहीं ग्लेशियर खिसकने से सीपू-मार्छा को जोड़ने वाला पुल भी बह गया है। इससे माइग्रेशन पर जाने वाले लोगों को चिंता सताने लगी है।
सोमवार को प्रकाश दुग्ताल ने बताया कि बीते दिनों वह अपने साथी रमेश दुग्ताल, योगेश और जितेंद्र के साथ बाइक से पंचाचूली ग्लेशियर घूमने को निकले। सेला पहुंचने के दौरान उन्हें पूरा मार्ग बर्फ से ढका मिला। उन्होंने किसी बेल्चा से बर्फ हटाकर आवाजाही के लिए मार्ग बनाया और आगे की यात्रा शुरू की, लेकिन वुरुंग, स्यागर, युसुंग और गलछिन नाला सहित कई अन्य इलाकों में भी ग्लेशियर खिसकने से मार्ग बंद था।
फिर से उन्होंने मार्ग से बर्फ हटाई। कई स्थानों में बाइक पर कपड़ा बांधकर खीचा और काफी जद्दोजहद के बाद किसी तरह वे अपनी मंजिल तक पहुंचे। मंगलवार को बाजार पहुंचने पर उन्होंने आपबीती बताई। प्रकाश ने बताया कि बीते वर्ष की अपेक्षा इस बार कम ही स्थानों में ग्लेशियर खिसका हुआ है।
दारमा घाटी के अंतिम गांव में आवाजाही हुई ठप
धारचूला। ग्लेशियर पिघलने से दारमा घाटी के अंतिम गांव सीपू में आवाजाही ठप हो गई है। सीपू-मार्छा को जोड़ने वाले रास्ते में बना एकमात्र लकड़ी का पुल ग्लेशियर खिसकने से बह गया है। दीलिंग दारमा सेवा समिति के कोषाध्यक्ष जीवन सिंह सीपाल ने बताया बीते वर्ष सीपू गाड़ में लकड़ी का पुल बनाया गया था, जो ग्लेशियर की भेंट चढ़ गया है।
इससे लोगों के लिए माइग्रेशन में अपने गांव लौटना मुश्किल हो गया है। कहा माइग्रेशन के दौरान 15से 20 परिवार निचले इलाकों से अपने पैतृक गांव की तरफ आवाजाही करते हैं। पुल बह जाने से गांव तक पहुंचने के लिए कोई अन्य विकल्प नहीं है। उन्होंने प्रशासन से पुल निर्माण की मांग की है। ताकि आगामी माह में वे गांव को आवाजाही कर सकें।
सीपीडब्यूडी अधिशासी अभियंता वीरेंनद्र कुमार ने बताया, सेला से बालिंग के बीच ग्लेशियर से सड़क बंद होने की सूचना मिली है। कर्मचारियों को सड़क खोलने को मौके पर भेजा गया है।जल्द ही सड़क खोल दी जाएगी।