उत्तराखंड भाजपा सरकार के पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत ने विधानसभा चुनाव के ऐन मौके पर अपने ही पैरों में कुल्हाड़ी मार ली. तमाम प्रयासों के बाद भी हरक रावत और उनकी बहू की कांग्रेस में एंट्री अभी तक नहीं हो पाई है. उसके बाद हरक फिर भाजपा की तरफ उम्मीद भरी नजरों से देख रहे हैं. बताया जा रहा है कि दिल्ली में हरक और भाजपा नेता और पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा की मुलाकात सवाल खड़ा कर रही है कि क्या हरक रावत की भाजपा में घर वापसी होगी? हरक की वापसी को लेकर अटकलों का बाजार गर्म है. स्थिति यह हो गई है कि पिछले 5 दिनों से राजधानी दिल्ली में डेरा जमाए हुए हरक सिंह रावत के लिए अभी तक कांग्रेस ने अपने ‘द्वार’ नहीं खोले हैं. कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने तो चुनाव से पहले हरक सिंह रावत को लेकर नो एंट्री का बोर्ड भी लगा दिया है.
गुरुवार को भारतीय जनता पार्टी ने 59 अपने प्रत्याशियों की सूची भी जारी कर दी है. पार्टी हाईकमान बाकी 11 और उम्मीदवारों का आज या कल नामों का एलान कर देगी. ऐसे ही कांग्रेसी भी आज अपने प्रत्याशियों की सूची जारी करने की तैयारी कर रही है. इन सबके बीच हरक अलग-थलग पड़ गए हैं. उत्तराखंड की जनता आखिरकार हरक को लेकर बेचैन है कि वह आखिर इस विधानसभा चुनाव में क्या करेंगे? वहीं दूसरी ओर सोशल मीडिया पर भी पूर्व मंत्री हरक सिंह को लेकर तमाम प्रकार की प्रतिक्रियाओं का दौर जारी है. इसके अलावा चर्चाओं का बाजार भी गर्म है. कहा जा रहा है हरक सिंह रावत इस समय सियासत के दोराहे पर खड़े हैं. एक और कांग्रेस में भी उनकी वापसी की आस अभी खत्म नहीं हुई है वहीं दूसरी ओर भाजपा भी उन्हें दोबारा लेने के लिए अपना नफा नुकसान का आकलन कर रही है.
भाजपा ने भी हरक सिंह रावत की वापसी के बंद नहीं किए हैं दरवाजे
पांच दिनों से दिल्ली में मौजूद हरक सिंह रावत भाजपा के खिलाफ बयानबाजी नहीं कर रहे हैं.
भाजपा से निष्कासित किए गए पूर्व मंत्री डा हरक सिंह रावत की कांग्रेस में घर वापसी का मामला लटका होने के कारण उनके सामने स्थिति असहज बनी हुई है. यह भी कहा जा रहा है अगर पूर्व मंत्री हरक माफी मांग लेते हैं तो भाजपा उन्हें एक बार फिर पार्टी में वापसी करा सकती है. बता दें कि भाजपा में उनकी दोबारा वापसी की उम्मीद इसलिए बढ़ गई है कि गुरुवार को 59 प्रत्याशियों की जारी की गई सूची में केदारनाथ विधानसभा से किसी उम्मीदवार का नाम घोषित नहीं किया गया है. हरक सिंह रावत केदारनाथ विधानसभा से चुनाव लड़ना जा रहे हैं.
वहीं दूसरी ओर शुक्रवार को हरक ने बताया कि आज या कल विधानसभा चुनाव किस पार्टी से लड़ना है स्पष्ट कर दूंगा। लेकिन फिलहाल इतना तो तय है हरक सिंह रावत कांग्रेस और भाजपा अपनी जगह बनाने के बाद तभी दिल्ली से देहरादून लौटेंगे. अगर कांग्रेस में उन्हें जगह नहीं मिलती है तो एक-दो दिन में उनकी फिर से भाजपा में वापसी हो जाए. इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि हरक सिंह रावत उत्तराखंड की सियासत में एक कद्दावर नेता के रूप में जाने जाते हैं, उनके सियासी कद को देखते हुए भाजपा और कांग्रेस में ही वह फिट बैठते हैं.
–शंभू नाथ गौतम