प्रेग्नेंसी में खान-पान का बहुत ध्यान रखना पड़ता है. जरा सी लापरवाही होने वाले बच्चे पर भारी पड़ सकती है. प्रेग्नेंसी में खाने की कुछ चीजों की बिल्कुल मनाही होती है जबकि कुछ चीजें सीमित मात्रा में खाने की सलाह दी जाती है. आइए जानते हैं इन चीजों के बारे में.
ज्यादा मर्करी वाली मछली- मर्करी बहुत विषैला तत्व है जिसे सुरक्षित नहीं माना जाता है. ये प्रदूषित पानी में पाया जाता है. मर्करी की ज्यादा मात्रा नर्वस सिस्टम, इम्यून सिस्टम और किडनी को खराब कर देती है. इसकी थोड़ी भी मात्रा होने वाले बच्चे के विकास पर गंभीर प्रभाव डाल सकती है.
चूंकि, यह प्रदूषित समुद्रों में पाया जाता है, इसलिए बड़ी समुद्री मछलियां मर्करी अधिक मात्रा में जमा कर लेती हैं. इसलिए, प्रेग्नेंट और ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली महिलाओं को मर्करी वाली मछली नहीं खानी चाहिए. ज्यादा मर्करी वाली मछलियों में शार्क, किंग मैकरल, टूना, स्वोर्डफिश, मर्लिन और ऑरेंज रौफी आती
अधपकी या शेलफिश मछली- प्रेग्नेंसी में कभी भी शेलफिश या अधपकी मछली नहीं खानी चाहिए. शेलफिश खाने से कई तरह के वायरस या बैक्टीरियल संक्रमण हो सकते हैं. इनमें से कुछ इंफेक्शन आपको जबकि कुछ आपके होने वाले बच्चे को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा सकते हैं.
प्रेग्नेंट महिलाओं में लिस्टेरिया संक्रमण आसानी से हो जाता है. ये बैक्टीरिया गीली मिट्टी और दूषित पानी या पौधों में पाया जाता है और शेलफिश मछली में आसानी से पहुंच जाता है. ये बैक्टीरिया प्लेसेंटा के जरिए होने वाले बच्चे तक पहुंच सकता है. इसकी वजह से गर्भपात या प्रीमेच्योर डिलीवरी भी हो सकती है.
अधपका और प्रोसेस्ड मीट- अधपका मीट भी प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए हानिकारक है. इसे खाने से टोक्सोप्लाज्मा, लिस्टेरिया और सैल्मोनेला जैसे कई तरह के बैक्टीरियल इंफेक्शन हो सकते हैं. ये होने वाले बच्चे को नुकसान पहुंचा सकते हैं. इससे बच्चे को गंभीर न्यूरोलॉजिकल बीमारी हो सकती है.
अधिकांश बैक्टीरिया मांस के ऊपर जबकि कुछ मीट के अंदर पाए जाते हैं. इन मीट को कभी कच्चा या अधपका नहीं खाना चाहिए. पैटीज और बर्गर वाले प्रोसेस्ड मीट खाने से बचें. स्टोरेज में रखने के दौरान इनमें कई तरह के संक्रमण हो जाते हैं.
कच्चे अंडे- कच्चे अंडे में सैल्मोनेला बैक्टीरिया पाए जाते है. इन्हें खाने से बुखार, मितली, उल्टी, पेट में ऐंठन और दस्त हो सकते हैं. कुछ मामलों में इस संक्रमण की वजह से गर्भाशय में ऐंठन हो सकती है, जिससे बच्चे का जन्म समय से पहले हो सकता है.
कच्चे अंडे खाने वाले खाद्य पदार्थों में स्क्रैम्बल्ड एग और पोच्ड एग भी शामिल हैं. बाजार के कई प्रोडक्ट्स में कच्चे अंडे मिले होते हैं. खरीदने से पहले इनका लेबल पढ़ लें.
कैफीन- ज्यादातर लोगों को कॉफी पीना बहुत पसंद होता है लेकिन प्रेग्नेंट महिलाओं को कैफीन का सेवन बहुत कम मात्रा में करने की सलाह दी जाती है. हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, प्रेग्नेंट महिलाओं को एक दिन में 200 mg से कम कैफीन लेना चाहिए.
कैफीन शरीर में बहुत जल्दी घुल कर प्लेसेंटा तक पहुंच जाता है. गर्भ में पल रहे बच्चे में मेटाबॉलिज्म एंजाइम नहीं होता है जिसकी वजह से उसको नुकसान पहुंच सकता है. प्रेग्नेंसी में ज्यादा कैफीन लेने से बच्चे का वजन और विकास रुक सकता है.
कच्चे स्प्राउट्स- स्प्राउट्स खाना शरीर के लिए बहुत फायदेमंद है लेकिन कच्चे अंकुरित स्प्राउट्स प्रेंग्नेंसी में नहीं खाने की सलाह दी जाती है. अंकुरित मूंग वाले कच्चे स्प्राउट्स में सैल्मोनेला बैक्टीरिया पनप सकते हैं.
धोने के बाद भी ये बैक्टीरिया स्प्राउट्स में रह जाते हैं. अच्छा होगा कि आप प्रेग्नेंसी में इन्हें पकाकर ही खाएं.
बिना धुली हुई चीजें- फल और सब्जियों के छिलकों पर कई तरह के बैक्टीरिया होते हैं. इनमें सबसे खतरनाक टोक्सोप्लाज्मा बैक्टीरिया होता है. जब आप फलों और सब्जियों को बिना धोए और छीले खाते हैं तो ये बैक्टीरिया आपके पेट में चले जाते हैं.
कुछ लोगों में इसके कोई लक्षण नहीं होते हैं जबकि कुछ लोगों में फ्लू की शिकायत हो जाती है. प्रेग्नेंसी में इस बैक्टीरिया की वजह से बच्चे की आंख में दिक्कत हो सकती है और उसका विकास भी रुक सकता है. प्रेग्नेंट महिलाओं को सब्जियों को अच्छी तरह धोकर, छील कर और पकाकर खाने चाहिए. फलों को भी ठीक तरह से धुलना चाहिए.
अनपाश्चराइज्ड मिल्क, चीज़ और जूस- कच्चे दूध और अनपाश्चराइज्ड चीज़ में ई कोलाई और कैम्पिलोबैक्टर जैसे कई हानिकारक बैक्टीरिया पाए जाते हैं. ये बैक्टीरिया अनपाश्चराइज्ड जूस में भी पाए जाते हैं. इनकी वजह से होने वाले इंफेक्शन शरीर को गंभीर नुकसान पहुंचाते हैं. इन चीजों से बैक्टीरिया खत्म करने के लिए इनका पाश्चराइजेशन जरूरी होता है.
प्रेग्नेंट महिलाओं को सिर्फ पाश्चराइज्ड मिल्क, चीज़ और जूस का सेवन करना चाहिए.