आज बात एक बार फिर पश्चिम बंगाल चुनाव को लेकर करेंगे । जैसे इस राज्य में भारतीय जनता पार्टी ने ठान लिया है कि हम सत्ता हर हाल में लेकर रहेंगे वैसे ही किसान नेताओं ने भी भाजपा को परास्त करने के लिए अब नई रणनीति अपनाई है । दिल्ली में डेरा जमाए किसानों को कई महीने हो गए हैं ।
पिछले कुछ समय से उनका आंदोलन कमजोर भी पड़ने लगा है । केंद्र सरकार के खिलाफ उनकी हुंकार कमजोर न पड़े अब किसान संगठन से जुड़े नेताओं ने दिल्ली से डेढ़ हजार किलोमीटर दूर बंगाल की धरती पर भाजपा को घेरने पहुंचे हैं ।
मोदी सरकार ने दिल्ली में डेरा जमाए किसान संगठनों से पूरी तरह से मुंह मोड़ लेने पर यह किसान नेता भाजपा को सबक सिखाना चाहते हैं । ऐसे में ऐसे में आंदोलनकारी किसान भी हर रोज अपने आप को एक्टिव रहने के लिए ऐसा कुछ करना चाहते हैं जिससे भाजपा सरकार ‘डिस्टर्ब’ होती रहे । किसानों ने भी सोचा कि कुछ दिन इन राज्यों में जाकर क्यों न ‘पॉलिटिक्स’ ही कर ली जाए ।
अब कुछ दिनों तक किसान नेताओं का ‘नया पता बंगाल बन गया है’ । इन किसान नेताओं ने बंगाल को अपना नया ठिकाना इसलिए बनाया है कि भारतीय जनता पार्टी इसी राज्य में सबसे ज्यादा ध्यान लगाए हुए हैं । पीएम मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और जेपी नड्डा की बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को लेकर कई महीनों से सियासी जंग जारी है ।
ऐसे में ममता बनर्जी भी कृषि कानून पर किसानों का केंद्र सरकार के प्रति गुस्से को प्रचार के दौरान अपनी पार्टी के लिए फायदा पहुंचाने का प्रयास करेंगीं । माना जा रहा है कि यह किसान नेता भारतीय जनता पार्टी से बदला लेने के लिए ममता को अपना समर्थन दे सकते हैं ?
ऐसे में घाटा भाजपा को ही होगा। वहीं किसान नेता राकेश टिकैत यह दिखाने की कोशिश में है कि यह आंदोलन केवल पंजाब, हरियाणा या यूपी तक सीमित नहीं है बल्कि यह पूरे देश में फैल चुका है। दूसरी ओर भाजपा को आज उस समय झटका लगा जब अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में वित्त मंत्री और विदेश मंत्री रह चुके यशवंत सिन्हा तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए हैं।
बीजेपी से इस्तीफा देने के बाद 82 साल के यशवंत सिन्हा काफी समय से सक्रिय राजनीति से दूर थे। शनिवार सुबह यशवंत सिन्हा ने कोलकाता में पार्टी की सदस्यता ली।