उमस भरी गर्मी एवं जलभराव की वजह से आई फ्लू (कंजेक्टिवाइटिस) तेजी से फैल रहा है। अकेले रुड़की सिविल अस्पताल में 35 से 40 मरीज पहुंच रहे हैं। जबकि निजी अस्पतालों में भरमार है। बिना चिकित्सक की सलाह के मरीज स्टेरॉयड तक का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिसकी वजह से आंखों की रोशनी तक जा सकती है।
इस बार आई फ्लू तेजी से फैला है। स्थिति यह है कि रुड़की सिविल अस्पताल में आई फ्लू के प्रतिदिन 35 से 40 मामले पहुंच रहे हैं। मामला बढ़ता देख शिक्षा विभाग को एडवाइजरी तक जारी करनी पड़ी। विभाग ने अभिभावकों को सलाह दी कि यदि बच्चा आई फ्लू से पीड़ित है तो उसको स्कूल न भेजे। साथ ही शिक्षकों के लिए भी कहा गया है कि यदि ऐसा कोई बच्चा है तो उसको वापस भेज दे।
वहीं चिकित्सकों की मानें तो जिस तरह का मौसम बना हुआ है उससे आई फ्लू का प्रकोप कम होने की दूर-दूर तक संभावना नहीं है। रुड़की सिविल अस्पताल के वरिष्ठ नेत्र सर्जन डॉ. रामजेश पांडे ने बताया कि यह उमस भरी गर्मी से होता है। इसके अलावा यह दूषित पानी की वजह से भी होता है। उन्होंने बताया कि कुछ मरीज मेडिकल स्टोर से स्टेरॉयड ड्रॉप लेकर आंखों में डाल रहे हैं जोकि गलत है। इससे आंखों की रोशनी तक जा सकती है।
डॉ रामजेश पांडे ने बताया कि इसको पूरी तरह से ठीक होने में कम से कम दो सप्ताह का समय लगता है। इसलिए आंखों में यदि कीचड़ आए, लाल हो जाए और सूजन हो तो तुरंत चिकित्सक की सलाह से ही उपचार करें। संक्रमण होने पर चश्मा पहने, आंखों को ठंडे पानी से धोए और तौलियां हमेशा साथ में रखे। चिकित्सकों ने कहा कि इस भयानक रूप से फैल रहे आई फ्लू से अपने बच्चों को बचा कर रखें।