विशेष: कांग्रेस-भाजपा में सियासी पारी खेलने वाले सुखराम को टेलीकॉम घोटाले में भी हुई सजा

अब आइए जानते हैं हिमाचल प्रदेश के दिग्गज नेता सुखराम के राजनीतिक करियर के बारे में. ‌राजधानी दिल्ली के एम्स में पूर्व केंद्रीय संचार मंत्री पंडित सुखराम ने 95 साल की आयु में निधन हो गया. तीन दिन पहले ही उन्हें ब्रेन स्ट्रोक के इलाज के लिए हिमाचल से दिल्ली एम्स में भर्ती किया गया था. सुखराम हिमाचल प्रदेश के मंडी सीट से लोकसभा सांसद रहे. इन्होंने विधानसभा का चुनाव पांच बार एवं लोकसभा का चुनाव तीन बार जीता. सुखराम हिमाचल के पहले मुख्यमंत्री वाईएस परमार की कैबिनेट में भी मंत्री रहे. उन्होंने राजनीतिक करियर शुरुआत हिमाचल के मंडी से की थी. वह 1963 से 1984 तक विधायक चुने गए थे. फिर उन्होंने 1984 में मंडी सीट से ही लोकसभा चुनाव जीता था. इसके बाद वो राजीव गांधी सरकार में राज्य मंत्री बनाए गए. फिर 1991 में लोकसभा सभा का चुनाव जीता. उसके बाद केंद्र में दूरसंचार विभाग का स्वतंत्र प्रभार संभाला.

वह 1996 में दोबारा मंडी सीट से जीते लेकिन फिर टेलीकॉम घोटाले में नाम आने के चलते उन्हें कांग्रेस से निकाल दिया गया. उसके बाद उन्होंने 1997 में ‘हिमाचल विकास कांग्रेस’ पार्टी बनाई. साथ ही 1998 में बीजेपी के साथ गठबंधन किया था. साल 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले सुखराम ने अपने बेटे अनिल शर्मा और पोते आश्रय शर्मा के साथ भाजपा ज्वाइन कर ली थी. लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले सुखराम और आश्रय ने दोबारा कांग्रेस में शामिल हो गए. आश्रय ने लोकसभा चुनाव भी लड़ा था लेकिन वह जीत नहीं सके थे. सुखराम को 2011 में भ्रष्टाचार के केस में पांच साल की सजा हुई. सुखराम के बेटे अनिल अभी मंडी से भाजपा विधायक हैं. उनके पोते आयुष शर्मा एक्टर हैं. उन्होंने सलमान खान की बहन अर्पिता से शादी की है. अब सुखराम हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उन्हें देश में मोबाइल से पहली बार बात करने के लिए हमेशा याद रखा जाएगा.

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