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निपट गए बंगाल में आठ चरण, अब सरकार बनाने के लिए दलों में शुरू हुई ‘आखिरी जंग’

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इस बार बंगाल विधानसभा के चुनाव साधारण नहीं थे। भारतीय जनता पार्टी और तृणमूल कांग्रेस के बीच जैसे सियासी युद्ध लड़ा गया हो, जिसमें सब कुछ ‘जायज’ था। आखिरकार आज बंगाल में आठ चरणों के चुनाव समाप्त हो गए ।

इसी के साथ पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों का भी समापन हो गया। यानी जनता ने अपना काम कर दिया है । अब बारी है इन राज्यों में सरकार बनाने के लिए सियासत की आखिरी ‘जंग’ की, जो अब शुरू हो गई है । देश में ये विधानसभा चुनाव बहुत लंबे समय तक याद रखे जाएंगे । आज हम मुख्य रूप से बंगाल चुनाव की बात करेंगे जो देश की सियासत में सबसे अधिक ‘सुर्खियों’ में रहे ।

बंगाल में सत्ता की ‘हैट्रिक’ लगाने के लिए ममता बनर्जी ने अपना पूरा जोर लगाया तो वहीं, बंगाल की भूमि में कमल खिलाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर अमित शाह सहित बीजेपी के तमाम नेता मशक्कत करते नजर आए। जबकि कांग्रेस-लेफ्ट गठबंधन राज्य में अपने सियासी वजूद बनाए रखने के लिए संघर्ष करता दिखा । बंगाल में इस बार चुनाव प्रचार में टीएमसी प्रमुख व मुख्यमंत्री ममता बनर्जी एक महीने से अधिक ‘व्हीलचेयर’ पर रैली करती नजर आ रही थीं ।

वहीं बीजेपी के पहली पंक्ति के नेता बंगाल में डेरा जमाए हुए थे। पीएम मोदी ने बंगाल में करीब 20 जनसभाएं तो अमित शाह ने तकरीबन 70 रैलियां कीं। ममता बनर्जी ने टीएमसी प्रत्याशी के समर्थन में करीब 150 जनसभाओं को संबोधित किया। पीएम मोदी, अमित शाह और जेपी नड्डा और ममता बनर्जी ने वह सभी मुद्दे उठाए जिससे जनता पर प्रभाव डाला जा सके ।

‘भाजपा और टीएमसी पार्टी के नेताओं ने एक दूसरे पर जुबानी जंग करते-करते सभी मर्यादाओं को पार कर गए’ । राज्य में चुनाव की तारीखों के एलान के दौरान भाजपा ने टीएमसी के नेताओं को अपने पाले में मिलाया ।

‘भाजपा को एक बंगाल की माटी के स्टार प्रचारक की जरूरत थी, ऐसे में पार्टी के रणनीतिकारों ने बॉलीवुड फिल्म अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती को प्रचार करने के लिए लगाया’ । टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी भी भाजपा के सभी सियासी दांवपेंच का दमदारी के साथ जवाब देती रहीं । कई बार बीजेपी और टीएमसी की लड़ाई निर्वाचन आयोग के दफ्तर भी पहुंची ।

बंगाल चुनाव के आखिरी दौर में कोरोना संक्रमण का असर और उससे जुड़े हुए वादे हावी रहे। एक ओर जहां ममता केंद्र को कोरोना की दूसरी लहर के लिए जिम्मेदार ठहराती नजर आईं। दीदी ने ये वादा भी किया कि अगर टीएमसी की सरकार आएगी तो बंगाल के लोगों का मुफ्त में टीकाकरण किया जाएगा। वैक्सीन को लेकर ममता बनर्जी ने पीएम मोदी को दो बार पत्र लिखा। वहीं बीजेपी ने भी मुफ्त वैक्सीनेशन का वादा किया है। इस तरह से कोरोना के मुद्दे पर ममता ने केंद्र पर जमकर हमले किए तो बीजेपी ने भी उन्हें निशाने पर लिया। भाजपा और टीएमसी के नेता प्रचार धुआंधार प्रचार किए जा रहे थे लेकिन चुनाव के आखिरी तीन चरण जब बचे थे तब राज्य में कोरोना महामारी ने अपने पैर पसारने शुरू कर दिए ।‌ उस पर भी सुप्रीम कोर्ट को बंगाल में नेताओं की रैली करने के लिए सवाल उठाने पड़े साथ ही सोशल मीडिया पर देशभर के लोगों ने बंगाल में महामारी के बीच प्रचार करने पर नेताओं पर गुस्सा उतारा।

तब जाकर भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के नेताओं को चुनावी जनसभाएं रद करनी पड़ी। बता दें कि आठवें चरण में चार जिलों की 35 विधानसभा सीटों पर वोट डाले गए। जिसमें इस चरण में मालदा की 6, बीरभूम की 11, मुर्शिदाबाद की 11 और कोलकाता नॉर्थ की 7 सीट शामिल रहीं।

एग्जिट पोल के शुरू होने के बाद राजनीतिक दलों की बंद कमरों में शुरू हुई सियासत—

बंगाल में आठवें चरण के चुनाव समाप्त के बाद चैनलों में शुरू हुए एग्जिट पोल्स के शुरू होने के बाद पांचों राज्यों के लिए राजनीतिक दलों में बंद कमरों में चुनावी ‘गणित’ शुरू हो गई है । बंगाल, तमिलनाडु, केरल, असम और पुडुचेरी में भाजपा, कांग्रेस, एआईडीएमके, डीएमके, टीएमसी और वाम दलों के नेताओं के बीच बैठकों का दौर शुरू हो गया है । लेकिन सबसे अधिक जोर भाजपा और टीएमसी के बीच बंगाल में सरकार बनाने को लेकर है । बता दें कि शनिवार को चुनाव नतीजों से ठीक एक दिन पहले मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अपने सभी विधायकों के साथ मीटिंग करेंगी। ममता बनर्जी वोटिंग के दिन अपने नेताओं को रणनीति बताएंगी। गौरतलब है कि बंगाल विधानसभा का कार्यकाल 30 मई 2021 को पूरा हो रहा है।‌ ऐसे में 30 मई से पहले हर हाल में विधानसभा और नई सरकार के गठन की प्रकिया पूरी होनी है।

पश्चिम बंगाल में कुल 294 विधानसभा सीटें हैं। पिछले 10 साल से ममता बनर्जी यहां मुख्यमंत्री हैं। अब देखना है कि ममता अपना किला बचा पाती है या नहीं ? दूसरी ओर बीजेपी ने यहां बहुत जोर लगाया है। पीएम मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने बंगाल से ममता बनर्जी सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए सियासत के सभी शस्त्र आजमाए ।

भाजपा बंगाल में सरकार बनाने के लिए बेकरार है । एग्जिट पोल्स के बाद भाजपा हाईकमान ने दिल्ली में बंगाल चुनाव में सरकार बनाने के लिए गुप्त बैठकें शुरू कर दी हैं । भाजपा केंद्रीय नेतृत्व ने असम में वापसी और बंगाल में पहली बार ‘भगवा’ लहराने के लिए सब कुछ दांव पर लगा रखा है। ऐसे ही कांग्रेस पार्टी के लिए असम और केरल के साथ पुडुचेरी की भी प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है।

कई महीनों से पार्टी में मची उथल-पुथल के बीच राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की इन दोनों राज्यों में कुशल नेतृत्व की परीक्षा भी होनी है। वहीं डीएमके ने तमिलनाडु में सत्ता पाने के लिए तैयारी तेज कर दी है।

मौजूदा सत्तारूढ़ एआईडीएमके की भी पूरी कोशिश रहेगी कि तमिलनाडु की सत्ता में वापसी कर सके। ऐसे ही वामदलों ने अपना एकमात्र राज्य केरल बचाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। बता दें कि दो मई को तमिलनाडु, केरल, पुड्डुचेरी, असम और पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव के परिणाम आने हैं।

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