असम और मेघालय के बीच दशकों पुराना सीमा विवाद हाल ही में महत्वपूर्ण मोड़ पर पहुंचा है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की उपस्थिति में, दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिससे 50 वर्षों से अधिक पुराने इस विवाद का समाधान निकलने की उम्मीद जगी है।यह विवाद मुख्य रूप से असम के कामरूप जिले और मेघालय के पश्चिम गारो हिल्स में स्थित लंगपीह क्षेत्र को लेकर था।
लंगपीह क्षेत्र ब्रिटिश काल में कामरूप का हिस्सा था, लेकिन स्वतंत्रता के बाद इसे मेघालय में शामिल किया गया, जिससे विवाद उत्पन्न हुआ।1985 में, तत्कालीन मुख्यमंत्रियों की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया था, जिसमें भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश वाई वी चंद्रचूड़ शामिल थे, ताकि इस विवाद का समाधान निकाला जा सके। इसके बाद, 2011 में मेघालय सरकार ने असम के साथ 12 विवादित क्षेत्रों की पहचान की, जो लगभग 2,700 वर्ग किमी में फैले थे।
हालांकि, हाल के समझौते में दोनों राज्यों ने विवादित क्षेत्रों के छह बिंदुओं पर सहमति जताई है, जिससे लगभग 70% सीमा विवाद का समाधान हो गया है। शेष छह बिंदुओं पर जल्द समाधान की उम्मीद जताई गई है।