मध्य प्रदेश के रीवा जिले में शराब अनुज्ञापन से जुड़े 15.32 करोड़ रुपये के घोटाले का पर्दाफाश हुआ है। आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने इस मामले में शराब ठेकेदारों, बैंककर्मियों और आबकारी अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है। इस घोटाले का मुख्य आरोपित नागेंद्र सिंह है, जो पूर्व में जिला सहकारी बैंक मोरबा के शाखा प्रबंधक थे। उनके खिलाफ आरोप है कि उन्होंने 14 फर्जी बैंक गारंटी जारी की थीं, जिनमें से नौ का उपयोग शराब ठेकेदारों ने अनुज्ञापन प्राप्त करने के लिए किया। इस प्रक्रिया के माध्यम से राज्य को 15.32 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
आरोपितों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 420 (धोखाधड़ी) और 120B (आपराधिक साजिश) के तहत मामला दर्ज किया गया है। EOW द्वारा की गई जांच में यह सामने आया है कि इस घोटाले में कई अन्य लोग भी शामिल हैं, जिनमें अनिल जैन, जो कि तत्कालीन जिला आबकारी अधिकारी थे, और अन्य शराब ठेकेदार शामिल हैं।
प्रशासन ने इस घोटाले की गहन जांच शुरू कर दी है और राज्य सरकार ने दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का आश्वासन दिया है। यह घटना राज्य में भ्रष्टाचार और वित्तीय अनियमितताओं की गंभीरता को उजागर करती है।