यह खबर उन अभिभावकों और माता-पिता के लिए राहत भरी हो सकती हैं जो अपने बच्चों को सैनिक स्कूल में भेजना चाहते हैं लेकिन कड़े कंपटीशन की वजह से विद्यालय में दाखिला नहीं करा पाते हैं. मंगलवार शाम को मोदी सरकार की आयोजित मंत्रिमंडल में बड़ा फैसला लिया गया. देश में सैनिक विद्यालयों की संख्या बढ़ाई जाएगी. बता दें कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सैनिक स्कूल सोसाइटी के साथ सरकारी और निजी क्षेत्र के 100 विद्यालयों की संबद्धता को मंगलवार को मंजूरी दे दी जिसका मकसद बच्चों में मूल्य आधारित शिक्षा, चरित्र के साथ प्रभावी नेतृत्व, अनुशासन को बढ़ावा देना है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई.
सरकार का मानना है कि इन 100 नई स्कूलों में अगले शैक्षिणक-वर्ष यानि 2022-23 में करीब पांच हजार नए छात्र-छात्राओं को दाखिला मिल सकेगा. कैबिनेट के फैसले के बाद सरकार ने बयान जारी करते हुए कहा कि ये स्कूल नई एजुकेशन पॉलिसी (एनईपी) के तहत खोले जाएंगे. ये विद्यालय विशिष्ट स्तंभ के रूप में कार्य करेंगे जो रक्षा मंत्रालय के मौजूदा सैनिक स्कूलों से विशिष्ट और भिन्न होंगे. गौरतलब है कि इस वक्त देश में कुल 33 सैनिक स्कूल हैं, जहां करीब 3300 छात्र, छात्राएं शिक्षा ले रहे हैं. इन स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता, अनुशासन, शारीरिक, तंदरुस्त, देशभक्ति, संस्कृति, आध्यात्म और कर्तव्यपरायण जैसे संस्कारों पर खासा जोर दिया जाता है.
इन स्कूलों से निकले छात्र न केवल सेना के उच्च-पदों तक पहुंचते हैं, बल्कि सिविल-सेवाएं, ज्यूडेशरी और साइंस एंड टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में भी नाम कमाते हैं. केंद्र सरकार के इस फैसले के बाद अधिक से अधिक बच्चों का सैनिक स्कूल में पढ़ने का सपना सच हो सकेगा. हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को अगले शैक्षणिक-वर्ष से छात्राओं को एडमिशन देने का आदेश दिया था. वहीं रक्षा मंत्रालय भी वर्ष 2019 में सैनिक स्कूलों को लड़कियों के लिए खोलने का प्रस्ताव दे चुका था. आपको यहां यह भी जानकारी दे दें कि इन दिनों भी सैनिक स्कूलों में बच्चों के एडमिशन लेने के लिए आवेदन पत्र आमंत्रित किए गए हैं. इसकी भरने की आखिरी तारीख इसी महीने 26 अक्टूबर है.