चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का ऐतिहासिक महत्व :
- इसी दिन आज से तथा सृष्टि संवत 1,96,08,53,121 वर्ष पुर्व सूर्योदय के साथ ईश्वर ने सृष्टि की रचना प्रारंभ की।
- मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का राज्याभिषेक भी इसी दिन हुआ था।
- महाराज युधिष्ठिर का राज्याभिषेक इसी दिन हुआ।*
4 सम्राट विक्रमादित्य ने इसी दिन राज्य स्थापित किया। इन्हीं के नाम पर विक्रमी संवत् का पहला दिन प्रारंभ होता है।*
5.145 वर्ष पूर्व महर्षि दयानंद सरस्वती जी ने इसी दिन को आर्य समाज की स्थापना दिवस के रूप में चुना।आर्य समाज वेद प्रचार का महान कार्य करने वाला एकमात्र संगठन है।
6.विक्रमादित्य की भांति शालिवाहन ने हूणों को परास्त कर दक्षिण भारत में श्रेष्ठतम राज्य स्थापित करने हेतु यही दिन चुना।
वैदिक नववर्ष का प्राकृतिक महत्व :
1.वसंत ऋतु का आरंभ वर्ष प्रतिपदा से ही होता है जो उल्लास, उमंग, खुशी तथा चारों तरफ पुष्पों की सुगंधि से भरी होती है।
2.फसल पकने का प्रारंभ यानि किसान की मेहनत का फल मिलने का भी यही समय होता है।
वैदिक नववर्ष कैसे मनाएँ :
1.हम परस्पर एक दुसरे को नववर्ष की शुभकामनाएँ दें।
2.आपने परिचित मित्रों, रिश्तेदारों को नववर्ष के शुभ संदेश भेजें।
3 इस मांगलिक अवसर पर अपने-अपने घरों पर भगवा पताका फेहराएँ। वेद आदि शास्त्रो के स्वधयाय का संकल्प ले।
4.घरों एवं धार्मिक स्थलों में हवन यज्ञ के कार्यक्रमों का आयोजन जरूर करें ।
- इस अवसर पर होने वाले धार्मिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लें अथवा कार्यक्रमों का आयोजन करें।