डीएमके ने एनईपी की तीन-भाषा नीति के खिलाफ राज्यव्यापी आंदोलन की शुरुआत की, बड़े विरोध प्रदर्शन की योजना बनाई

द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) की तीन-भाषा नीति के खिलाफ राज्यव्यापी आंदोलन की शुरुआत की है। पार्टी ने इस नीति को तमिल भाषा और संस्कृति पर हमला मानते हुए, इसके विरोध में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन आयोजित करने की योजना बनाई है।

एनईपी 2020 में तीन-भाषा नीति का प्रावधान है, जिसमें छात्रों को उनकी मातृभाषा, हिंदी और अंग्रेजी पढ़ने की सलाह दी गई है। डीएमके और अन्य गैर-हिंदी भाषी राज्य इस नीति को हिंदी थोपे जाने का प्रयास मानते हैं, जिससे स्थानीय भाषाओं की उपेक्षा हो सकती है। डीएमके अध्यक्ष एम.के. स्टालिन ने इस नीति को संसद में बिना चर्चा के पारित होने पर आलोचना की है और इसे तमिल भाषा के लिए खतरा बताया है।

यह आंदोलन तमिलनाडु के इतिहास में हिंदी विरोधी आंदोलनों की परंपरा से जुड़ा हुआ है, जिसमें 1965 का आंदोलन प्रमुख है। उस समय, राज्य ने हिंदी को आधिकारिक भाषा बनाने के प्रयास का विरोध किया था, जिससे हिंदी थोपे जाने के प्रयासों को रोका गया था।डीएमके का ताजा आंदोलन इस ऐतिहासिक संदर्भ में महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह राज्य की भाषाई पहचान और संस्कृति की रक्षा के लिए एकजुटता को दर्शाता है।

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