उत्तर प्रदेश में मेरठ के एलएलआरएम मेडिकल कॉलेज में एक शर्मनाक घटना सामने आई है। 15 दिन पहले मर चुके कोरोना मरीज को डॉक्टर ठीक बताते रहे। जब बेटी अस्पताल पहुंची तो मरीज को गायब बता दिया गया। गुरुवार को पता चला कि मरीज की 23 अप्रैल को ही मौत हो चुकी है। मेडिकल प्रशासन का दावा है कि उसी दौरान शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया था। मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य ने चूक मानते हुए जांच कमेटी बनाई। कमेटी की शुरुआती जांच में संतोष कुमार की 23 अप्रैल को मौत की पुष्टि हुई है। पुलिस भी अपने स्तर स्तर पर जांच कर रही है।
राजनगर एक्सटेंशन गाजियाबाद निवासी संतोष कुमार 21 अप्रैल की सुबह 11 बजे मेडिकल मेरठ के कोविड वार्ड में भर्ती हुए थे। बेटी शिखा शिवांगी के अनुसार, वह रोजाना कंट्रोल रूम पर फोन कर अपने पिता का हाल पूछती थीं। कंट्रोल रूम का स्टाफ उन्हें तीन मई तक पिता के ठीक होने की खबर देता रहा। तीन मई के बाद कोई जानकारी नहीं लगी तो वह मेरठ आ गई। कोविड वार्ड में संतोष का कुछ पता नहीं चला। मेडिकल कॉलेज के प्रचार्य का कहना है कि शव का अंतिम संस्कार उसी दौरान संतोष के नाम से कर दिया गया है।
संतोष नाम के दो मरीजों से हुई चूक
कोविड वार्ड में संतोष कपूर और संतोष कुमार नाम के दो मरीज भर्ती थे। संतोष कुमार की मौत 23 अप्रैल को हो गई। एक नाम के दो मरीज होने से स्टाफ को गलतफहमी हो गई और वह संतोष कपूर का हाल संतोष कुमार के परिजनों को देते रहे। जांच कमेटी की रिपोर्ट पर कार्रवाई होगी। – डॉ. ज्ञानेंद्र कुमार,