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इंडो-चीन सीमा पर ग्लेशियर से हिमखंड टूटने के बाद दारमा घाटी में मची तबाही

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बेमौसम बर्फबारी के बाद ग्लेशियर से हिमखंड टूटने से सीमांत तहसील धारचूला की दारमा घाटी में जमकर तबाही मची है। बारिश और बर्फबारी के बाद 5 ग्लेशियरों के हिमखंड टूटे हैं, इससे चीन सीमा को जोड़ने वाली सड़क व माइग्रेशन गांवों के पैदल रास्ते पूरी तरह से बंद हैं। 

सड़क और रास्ते बंद होने से चीन सीमा की चौकसी में डटे भारतीय जवानों के साथ माइग्रेशन वाले ग्रामीणों को मुश्किल हालातों से गुजरना पड़ रहा है। सीमांत जनपद में धारचूला व मुनस्यारी के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में बीते 21 अप्रैल को भारी बर्फबारी हुई। बेमौसम बर्फबारी से दारमा घाटी के माइग्रेशन गांवों में पैदल रास्ते पूरी तरह से बंद हैं।

यहां पांच स्थानों पर ग्लेशियरों के विशाल हिमखंड टूटने से चीन सीमा को जोड़ने वाली तवाघाट-तिदांग सड़क पर भी आवाजाही ठप है। नागलिंग, बालिंग में एक-एक तो ढाकर के पास तीन ग्लेशियरों के हिमखंड टूटकर सड़क पर गिरे हैं। पैदल रास्ते व सड़क बंद होने से सेना व माइग्रेशन वाले ग्रामीणों को कठिन चुनौतियों से गुजरना पड़ रहा है।

कठिन चुनौती से गुजरते हुई वापस लौटी टीम: नुकसान का जायजा लेने दारमा वैली पहुंची पशुपाल, राजस्व व एसडीआरएफ की टीम कठिन चुनौतियों से गुजरते हुए वापस लौटी है। टीम का नेतृत्व कर रहे पशु चिकित्साधिकारी डॉ. पंकज गुणवंत ने बताया कि 25 अप्रैल को टीम धारचूला से 50 किमी दूर नागलिंग तक वाहन से पहुंची। इससे आगे बर्फबारी से सड़क बंद होने से ढाकर तक 20 किमी का सफर बर्फ के बीच पैदल करना पड़ा

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