भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने शुक्रवार को कहा कि किसान 70 साल से घाटे की खेती कर रहा है। किसान को एक फसल की कुर्बानी देनी पड़ेगी और इसके लिए किसान तैयार हैं। अगर फसल ज्यादा मजदूर लगाकर काटनी पड़ेगी तो भी काटेगा, फसल की वजह से आंदोलन कमजोर नहीं होगा।
उन्होंने कहा कि सरकार किसानों के सब्र का इम्तिहान ले रही है। उन्होंने कहा कि कानून वापसी तक किसान कहीं जाने वाला नहीं है। कानून वापसी से ही किसानों की घर वापसी संभव है। इसके साथ ही सरकार को एमएसपी पर कानून भी लाना होगा।
टिकैत ने गुरुवार को कहा था कि केंद्र सरकार किसी भी गलतफहमी में नहीं रहना चाहिए कि किसान फसल की कटाई के लिए वापस जाएंगे। यदि वे मजबूर करेंगे तो हम अपनी फसलों को जला देंगे। उन्हें यह नहीं सोचना चाहिए कि विरोध 2 महीने में खत्म हो जाएगा। हम फसल के साथ-साथ विरोध करेंगे।
हरियाणा के हिसार जिले के खरकपुनियों में आयोजित किसान महापंचायत को संबोधित करते हुए टिकैत ने कहा था कि फसलों की कीमतों में वृद्धि नहीं हुई है, लेकिन ईंधन की कीमतें बढ़ गई हैं।
केंद्र ने स्थिति को बर्बाद कर दिया है, यदि जरूरत हुई तो हम अपने ट्रैक्टरों को पश्चिम बंगाल में भी ले जाएंगे, क्योंकि वहां पर भी किसानों को एमएसपी नहीं मिल रही है।