कोरोना की जद में आए सभी मरीजों को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं। 85 से 90 फीसदी संक्रमित घर पर ही इलाज कराकर वायरस से उबर सकते हैं, बशर्ते वे कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के उपायों को अमल में लाएं। एम्स निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया भी स्पष्ट कर चुके हैं कि 10 से 15 फीसदी मामलों में ही संक्रमण गंभीर स्तर पर पहुंचता है और मरीज को मेडिकल ऑक्सीजन या रेमडेसिविर जैसी दवाएं देने की नौबत आती है। तो आइए जानें घर पर पृथक रह रहे मरीजों को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए-
आरटी-पीसीआर जांच कब कराएं
सर्दी, खांसी, जुकाम, बुखार, गले में खराश, थकान, सांस लेने में तकलीफ या स्वाद और गंध महसूस करने की क्षमता खो जाने पर व्यक्ति दो से तीन दिन के भीतर आरटी-पीसीआर जांच कराकर इस बात की पुष्टि कर सकता है कि कहीं वह कोरोना संक्रमण की चपेट में तो नहीं आ गया है
रिपोर्ट नेगेटिव हो तो भी लक्षणों पर नजर रखें
कई बार नाक-गले से सही तरह से पर्याप्त ‘स्वैब नमूना’ न लेने या लैब तक परिवहन में चूक होने के कारण आरटी-पीसीआर जांच गलत रिपोर्ट दे सकती है। ऐसे में डॉक्टर की सुझाई दवाएं लेने के बावजूद राहत न मिले तो पृथक रहते हुए लक्षणों पर नजर रखें। तीव्रता बढ़ने पर अस्पताल जाएं।
बेवजह सीटी स्कैन कराने से बचें
एम्स निदेशक ने कोरोना से संक्रमित होने पर बेवजह सीटी स्कैन कराने से बचने की सलाह दी है। वह कहते हैं, कोविड-19 की पुष्टि के बाद कई लोग फेफड़ों पर इसका असर जानने की जल्दबाजी में सीटी स्कैन करा रहे हैं। हालांकि, हल्के या मध्यम संक्रमण के मामलों में यह जांच जरूरी नहीं। उन्होंने आगाह किया कि एक सीटी स्कैन सीने के 300 से 400 एक्स-रे कराने के बराबर है। यानी इंसान एक सीटी स्कैन में 300 से 400 एक्स-रे में निकलने वाली रेडिएशन के संपर्क में आता है। इससे आगे चलकर उसके कैंसर का शिकार होने का खतरा बढ़ जाता है।
इन सूरतों में अस्पताल का रुख करें
-घर पर पृथक रह रहे मरीज लगातार डॉक्टर के संपर्क में रहें, ऑक्सीमीटर के जरिये शरीर में ऑक्सीजन के स्तर की निगरानी करें।
-अगर ऑक्सीजन का स्तर 94 या उससे नीचे चला जाए या फिर सीने में दर्द, कमजोरी की शिकायत सताए तो फौरन अस्पताल जाएं।
यूं पहचानें ऑक्सीजन की कमी
विशेषज्ञों ने छह मिनट का ‘वॉकिंग टेस्ट’ सुझाया है, जिससे शरीर में ऑक्सीजन का स्तर आंका जा सकता है। चहलकदमी शुरू करने के पहले और बाद में ऑक्सीमीटर से ऑक्सीजन का स्तर नापें। अगर इसमें सुधार के बजाय गिरावट दिखे और यह अंतर तीन फीसदी या उससे अधिक हो तो इसे चेतावनी के तौर पर लें। यही नहीं, अगर छह मिनट की चहलकदमी पूरी होने से पहले ही आप हांफ जाएं तो समझिए कि शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो रही है। दोनों ही सूरतों में आपको चिकित्सकों की देखरेख में मेडिकल ऑक्सीजन लेने की जरूरत पड़ सकती है।
दो सूरतों में खत्म करें पृथकवास
1.कोविड-19 संक्रमण के लक्षण उभरे कम से कम दस दिन बीत चुके हों।
2.सर्दी-बुखार जैसे लक्षणों से निजात मिले कम से कम तीन दिन हो चुके हों।
शुरुआती दौर में न लें स्टेरॉयड
-विशेषज्ञों ने चेताया है कि संक्रमण के शुरुआती दौर में स्टेरॉयड लेने से सार्स-कोव-2 वायरस को अपनी संख्या बढ़ाने में मदद मिलती है। मरीज गंभीर वायरल निमोनिया का भी शिकार हो सकता है। कोविड प्रबंधन पर जारी स्वास्थ्य दिशा-निर्देश भी हल्के संक्रमण में दवाएं न लेने या सीमित मात्रा में साधारण दवाओं का सेवन करने की सलाह देते हैं