आज देश के इतिहास में वह महत्वपूर्ण तारीख है जिस दिन संविधान अपनाया गया था. नवंबर को हर साल देश में संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है, जो भारत के संविधान को अपनाने की याद दिलाता है. 26 नवंबर 1949 को संविधान को अपनाया गया और यह 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ.
बता दें कि साल 2015 में, केंद्रीय सामाजिक न्याय मंत्रालय ने नागरिकों के बीच संवैधानिक मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाने के केंद्र के फैसले को अधिसूचित किया था. उल्लेखनीय है कि भारत का संविधान भारत को संप्रभु, धर्मनिरपेक्ष, समाजवादी, लोकतांत्रिक गणतंत्र घोषित करता है और अपने नागरिकों के लिए समानता, स्वतंत्रता और न्याय की गारंटी देता है।कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक फैले विशाल भारत देश में सैकड़ों भाषाएं, बोली, पहनावे, खान-पान और अन्य विविधताएं देखने को मिलती हैं. ऐसे में संविधान ही वह एक कड़ी है जो हर भारतवासी को एक साथ पिरोती है.
संविधान देश को हर नागरिक को एक समान अधिकार देता है और एक समान नियमों में बाध्यता भी है. संविधान किसी देश में शासन के लिए आधार प्रदान करता है, जो यह सुनिश्चित करने के लिए जरूरी है कि सभी के हितों और जरूरतों को ध्यान में रखा जाए. भारत एक विविधताओं का देश है. अब सवाल यह उठता है कि 26 नवंबर 1949 को संविधान अपनाया गया तो दो महीने बाद 26 जनवरी को लागू क्यों हुआ? इन दो महीनों का वक्त क्यों लिया गया? बताया जाता है कि इन दो महीनों के दौरान संविधान का पाठ किया गया और इसे अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद किया गया था.
संविधान को पूरी तरह अपनाए जाने से पहले संविधान सभा ने दो साल 11 महीने और 18 दिन का समय लगा. भारत के पहले कानून मंत्री डॉ. भीमराव अंबेडकर को 1947 में संविधान मसौदा समिति के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया और उन्हें देश का नया संविधान लिखने की जिम्मेदारी दी गई.इस प्रारूप समिति में देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद भी थे.
–शंभू नाथ गौतम