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कंडक्टर से सुपरस्टार बने रजनीकांत सिनेमा के सर्वोच्च पुरस्कार ‘दादा साहब फाल्के’ तक पहुंचे

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आज बात करेंगे हिंदी-तमिल सिनेमा के सुपरस्टार रजनीकांत की । बेंगलुरु में बस कंडक्टर से जिंदगी की शुरुआत करने वाले रजनीकांत ने कभी सोचा नहीं होगा कि वे बॉलीवुड और तमिल सिनेमा के सुपरस्टार बन जाएंगे । उनकी एक्टिंग और स्टाइल की हिंदी और तमिल के साथ दुनिया भर के दर्शक कॉपी करते हैं । तमिल में तो प्रशंसकों ने उन्हें ‘भगवान’ का दर्जा भी दिया ।

साढ़े चार दशकों के बाद भी प्रशंसकों में रजनीकांत के लिए दीवानगी आज भी सिर चढ़कर बोलती है । गुरुवार को जब प्रशंसकों को यह खबर पता चली कि उनके चहेते अभिनेता को भारतीय सिनेमा के सबसे बड़े ‘दादा साहेब फाल्के’ पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा, तब खुशी का ठिकाना नहीं रहा ।

सुबह से ही लाखों प्रशंसकों ने रजनीकांत को बधाई और शुभकामनाएं देने का सोशल मीडिया पर सिलसिला जारी है । बता दें कि कोरोना वायरस की वजह से इस बार इस दादा साहेब फाल्के पुरस्कार देने की घोषणा देर से हुई है।

गुरुवार को केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री प्रकाश जावेड़कर ने इसकी जानकारी देते हुए बताया कि इस बार दादा साहेब फाल्के पुरस्कार अभिनेता रजनीकांत को दिया जाएगा । बता दें कि यह अवॉर्ड भारतीय सिनेमा का सबसे बड़ा और प्रतिष्ठित सम्मान है ।

गौरतलब है कि रजनीकांत तमिलनाडु की चुनावी राजनीति में भी कदम रखने वाले थे लेकिन बीते साल दिसंबर में उन्होंने फैसला किया था कि वह चुनावी राजनीति से बाहर ही रहेंगे। मौजूदा समय में पांच राज्यों के साथ तमिलनाडु में भी विधानसभा चुनाव चल रहे हैं ।

तमिलनाडु में रजनीकांत को बहुत ही सम्मान दिया जाता है यही नहीं लाखों प्रशंसक तो उन्हें भगवान का भी दर्जा देते हैं । अपने चहेते अभिनेता की एक झलक पाने के लिए चेन्नई में हजारों प्रशंसक रोजाना उनके आवास पर घंटों खड़े रहते हैं ।

चुनाव के दौरान केंद्र सरकार ने रजनीकांत को भारतीय सिनेमा का सबसे बड़ा पुरस्कार देकर तमिल जनता को एक संदेश भी दिया है । बता दें कि भाजपा तमिलनाडु में एआईडीएमके के साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ रही है । ऐसे में भाजपा को इस राज्य में जरूर फायदा होगा ।

केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने ट्वीट करते हुए लिखा कि ‘भारतीय सिनेमा के इतिहास के सबसे महान अभिनेताओं में से एक के लिए दादासाहेब फाल्के पुरस्कार 2019 की घोषणा करने पर बहुत खुश हूं, अभिनेता, निर्माता और पटकथा लेखक के रूप में रजनीकांत का योगदान प्रतिष्ठित रहा है’।

दूसरी ओर आज ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रजनीकांत को सोशल मीडिया पर पोस्ट शेयर कर बधाई दी है। उन्होंने लिखा कि कई पीढ़ियों में लोकप्रिय, जबरदस्‍त काम जो कम ही लोग कर पाते हैं, विविध भूमिकाएं और एक प्‍यारा व्यक्तित्व ऐसे हैं रजनीकांत जी।

यह बेहद खुशी की बात है कि थलाइवा को दादा साहेब फाल्‍के पुरस्कार से सम्‍मानित किया गया है, उन्‍हें बधाई। बता दें कि रजनीकांत को 51वां दादा साहब फाल्के अवॉर्ड 3 मई को दिया जाएगा।

बंगलुरु में जन्मे रजनीकांत का बचपन बहुत ही मुश्किलों भरा रहा—

रजनीकांत का जन्म 12 दिसंबर, 1950 को बंगलुरु में हुआ था । उनका बचपन मुश्किलों से भरा रहा है। बचपन में उन्हें आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ा। रजनीकांत का असली नाम शिवाजी राव गायकवाड़ था। यही शिवाजी राव आगे चलकर रजनीकांत बने। रजनीकांत पांच साल के थे तभी उनकी मां का निधन हो गया।

मां के निधन के बाद परिवार की जिम्मेदारी उनके कंधे पर आ गई। रजनीकांत के लिए भी घर चलाना इतना आसान नहीं था। उन्होंने अपने शुरुआती जीवन में बस कंडक्टर और कुली का काम किया। आर्थिक स्थिति खराब होने के बाद भी रजनीकांत ने अपनी जिंदगी जिंदादिल बनाए रखा।

रजनीकांत की स्टाइल हमेशा से यूनिक रही है और वे बस कंडक्टर होने के दौरान भी लोगों को अपनी एक्टिंग से प्रभावित करते थे। उसके बाद रजनीकांत ने 70 के दशक में बस कंडक्टर की नौकरी छोड़ कर 1973 में मद्रास फिल्म इंस्‍टीट्यूट से एक्टिंग में डिप्लोमा लिया ।

उसके बाद रजनीकांत का शुरू हुआ फिल्मी सफर।
उनका फिल्मों में भी शुरुआती सफर लीड एक्टर के रोल में नहीं था । उन्हें शुरुआत में सिर्फ निगेटिव रोल ही मिले। मगर रजनीकांत ने अपने सभी निभाए गए किरदारों के साथ पूरा इंसाफ किया। साल 1977 में आई फिल्म ‘भुवन ओरु केल्वीकुरी’ में वे पहली बार हीरो के रोल में कास्ट किए गए ।

एसपी मुत्थुरमन ने उन्हें रोल दियाा। रजनी और मुत्थुरमन दोनों की जोड़ी जम गई और 90 का दशक आते-आते दोनों ने 24 फिल्मों में साथ काम किया जिसमें से ज्यादातर सुपरहिट रहीं। देखते देखते ही रजनीकांत तमिल सिनेमा में छा गए । उन्हें जबरदस्त अभिनय के बल पर अन्य भाषाओं में भी काम मिलने लगे और लोकप्रियता बढ़ती गई।

रजनीकांत ने वर्ष 1983 में ‘अंधा कानून’ से हिंदी सिनेमा में शुरुआत की थी—

यहां हम आपको बता दें कि साल 1983 में उन्होंने बॉलीवुड में कदम रखा। उनकी पहली हिंदी फिल्म ‘अंधा कानून’ थी। इस फिल्म में अमिताभ बच्चन भी थे। उसके बाद रजनीकांत बॉलीवुड में भी तेजी के साथ बुलंदियों पर पहुंच गए । गिरफ्तार, हम, वफादार, बेवफाई, मेरी अदालत, जॉन जॉनी जनार्दन, भगवान दादा, असली नकली, इंसाफ कौन करेगा, खून का कर्ज, दोस्ती और दुश्मनी, चालबाज, क्रांतिकारी, इंसानियत के देवता और तमाचा जैसी फिल्मों में काम किया। इन फिल्मों में उनके अभिनय की जबरदस्त सराहना हुई।

उसके बाद रजनीकांत तमिल फिल्मों की ओर मुड़ गए। पिछले कुछ समय में उन्होंने काबिल, लिंगा, 2.0 पेटा और दरबार जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्मों में काम किया है। उनकी फिल्मों को देखने के लिए पूरे तमिलनाडु में प्रशंसकों की दीवानगी सड़कों पर दिखाई देती है ।

बढ़ती उम्र का भी एक्टर पर कोई असर नजर नहीं आता, वे लगातार सुपरहिट फिल्में दे रहे हैं जिसे दुनियाभर में सिनेमा प्रशंसक देखना पसंद करते हैं। आज वे दक्षिण भारतीय सिनेमा के सबसे बड़े स्टार कहे जाते हैं ।

बता दें कि दादा साहब फाल्के पुरस्कार से भी पहले भारत सरकार ने रजनीकांत को पद्म भूषण और पद्म विभूषण जैसे सम्मानों से भी नवाजा जा चुका है। इसके अलावा उनको फिल्मी क्षेत्र से जुड़े कई सम्मान भी दिए गए हैं ।

वर्ष 1969 में देविका रानी को सबसे पहले दिया गया था दादा साहेब फाल्के पुरस्कार—

दादा साहेब फाल्‍के पुरस्‍कार यह हिंदी स‍िनेमा का सबसे प्रतिष्ठित पुरस्‍कार माना जाता हैै । ज‍िसकी शुरुआत सन 1969 में हुई थी। सिनेमा के पितामह कहे जाने वाले दादा साहेब फाल्के के नाम पर यह सर्वोच्च पुरस्कार दिया जाता है। दादा साहेब फाल्‍के पुरस्‍कार के तहत दस लाख रुपए नगद और स्वर्ण कमल पदक व एक शाल प्रदान की जाती है।

सबसे पहले अभिनेत्री देविका रानी को इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया था । बता दें कि साल 1933 में फ‍िल्‍म कर्मा से देविका रानी ने फिल्मों में डेब्यू किया था । यह पुरस्कार पृथ्वीराज कपूर, महान गायिका लता मंगेशकर , राज कपूर, वी शांताराम, नौशाद, मनोज कुमार, शशि कपूर, गुलजार, प्राण, श्‍याम बेनेगल, देव आनंद, अशोक कुमार, यश चोपड़ा, आशा भोंसले, हृषिकेश मुखर्जी, दिलीप कुमार भूपेन हजारिका, सत्यजीत रेे, दुर्गा खोटे, मृणाल सेन, सहित कई दिग्‍गजों को यह पुरस्‍कार मिल चुका है।

इससे पहले साल 2018 का दादा साहेब फाल्‍के अवॉर्ड अमिताभ बच्‍चन को दिया गया था । साल 2017 में यह अवॉर्ड अभिनेता विनोद खन्‍ना को भी मिल चुका है ।

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