कोरोना से अपने माता-पिता या उनमें किसी एक को खोने वाले पूर्वांचल के 250 बच्चों को अब तक लैपटॉप-टेबलेट का इंतजार है. उन्हें मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना के तहत लैपटॉप दिया जाना है. पूर्वांचल में ऐसे सबसे ज्यादा बच्चे वाराणसी और सबसे कम बलिया, मऊ व मिर्जापुर जिलों में हैं.
प्रोबेशन कार्यालयों के जिलावार आंकड़ों पर गौर करें तो वाराणसी में 66, गाजीपुर में 54, भदोही में 35, चंदौली में 22, सोनभद्र में 21, जौनपुर में 15, आजमगढ़ में दस, बलिया में नौ, मऊ में नौ, मिर्जापुर में नौ बच्चे अब तक लैपटॉप पाने की आस लगाए बैठे हैं.
उपनिदेशक (महिला कल्याण) प्रवीण कुमार त्रिपाठी ने बताया कि वाराणसी में बच्चों के लिए लैपटॉप खरीदे जा चुके हैं, लेकिन इनका वितरण अभी होना है. उन्होंने बताया कि कक्षा नौ या इससे ऊपर की कक्षाओं और व्यवसायिक व तकनीकी शिक्षा हासिल कर रहे बच्चों को योजना का लाभ मिलेगा.
कोरोना संक्रमण से माता-पिता को खोने वाले वाराणसी जनपद के 302 बच्चों में 170 बालक और 132 बालिकाएं हैं. उन्हें मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना के तहत हर महीने चार हजार रुपये दिए जाते हैं. 12 हजार रुपये की साल में तीन किस्त उनके अभिभावकों के खाते में भेजी जाते हैं. जिला प्रोबेशन कार्यालय इन बच्चों की शिक्षा-दीक्षा समेत अन्य जरूरतों का फॉलोअप भी करता है. वहीं, अन्य बीमारियों से अपने माता-पिता या एक को खोने वाले बच्चों को हर महीने सरकार 2500 रुपये देती है. वाराणसी में ऐसे 65 बच्चे हैं.
साभार: हिंदुस्तान