उत्तर प्रदेश में चार महीने के बाद होने जा रहे विधानसभा चुनाव से पहले आज भारतीय जनता पार्टी और विपक्ष समाजवादी पार्टी के बीच महत्वपूर्ण सियासी मुकाबला होने जा रहा है. इसके लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने ‘ताकत’ झोंक दी है. विधानसभा चुनाव से पहले दोनों नेताओं के लिए यह जीत ‘प्रतिष्ठा’ का सवाल भी है.
हालांकि आज होने जा रहे इस चुनाव में जनता शामिल नहीं है, केवल विधायक ही वोटिंग करेंगे. हम बात कर रहे हैं प्रदेश विधानसभा के उपाध्यक्ष (डिप्टी स्पीकर) की. बात को आगे बढ़ाने से पहले बता दें कि इस पद के लिए चुनाव 14 साल से नहीं हुए हैं. वर्ष 2007 में आखिरी बार हुए चुनाव में राजेश अग्रवाल डिप्टी स्पीकर चुने गए थे. इस पद के लिए परंपरा रही है कि सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी के नेता ही निर्वाचित होते रहे हैं.
‘विधानसभा के डिप्टी स्पीकर के चुनाव को लेकर सोमवार को राजधानी लखनऊ का सियासी तापमान गर्म है’. इसके लिए आज विधानसभा का एक दिन का विशेष सत्र बुलाया गया है. इस पद के लिए नामांकन भाजपा और सपा के उम्मीदवारों ने रविवार को ही कर दिए. भाजपा ने सपा के बागी विधायक नितिन अग्रवाल को प्रत्याशी बनाया है. वहीं समाजवादी पार्टी ने नरेंद्र वर्मा को मैदान में उतारा है.
नितिन के नामांकन में खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी पहुंचे. सपा ने चुनाव से पहले भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि हमेशा से ये ‘परंपरा’ रही है कि विधानसभा में सबसे बड़े विपक्षी दल के सदस्य को ही उपाध्यक्ष की कुर्सी पर बैठाया जाता है, जबकि बीजेपी इस परंपरा को तोड़ने में जुटी है. ‘सपा प्रत्याशी नरेंद्र वर्मा ने कहा कि अंतरात्मा की आवाज पर विधायक उनका साथ देंगे और चुनाव में उन्हें वोट देंगे’.
वही नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी का भी साफ तौर पर कहना है कि इस सरकार ने तमाम परंपराओं को तो पहले ही तोड़ दिया है और अब सदन की परंपरा को भी तार-तार कर रही है. सपा के आरोपों पर पलटवार करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि नितिन अग्रवाल सपा के विधायक हैं जब अखिलेश यादव इन्हें उम्मीदवार नहीं बना पाए तब भाजपा ने नितिन अग्रवाल को अपना समर्थन दिया. आज होने जा रहे डिप्टी स्पीकर पद को लेकर सीएम योगी और अखिलेश यादव के बीच कई दिनों से सियासी जोर आजमाइश जारी है.
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार