लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा नहाय खाय के साथ ही शुरू हो गया है. यह महापर्व चार दिनों तक यानी 31 अक्टूबर तक चलेगा. नहाय खाय के दिन को कुछ लोग कद्दू भात का दिन भी कहते हैं. इस दिन साफ़-सफाई करके पूजा प्रारंभ की जाती है.
छठ पूजा का पर्व कार्तिक शुक्ल की षष्ठी को मनाया जाता है. इसे सूर्य षष्ठी भी कहा जाता है. यह पर्व दिवाली के 6 दिन बाद मनाया जाता है. छठ पूजा में सूर्य देव और छठी मैया की पूजा की जाती है और उन्हें अर्घ्य दिया जाता है. संतान की दीर्घायु, सौभाग्य और खुशहाल जीवन के लिए महिलाएं छठ पूजा में 36 घंटे का निर्जला व्रत रखती हैं.
छठ व्रती छठ पूजा के नहाय खाय का प्रसाद पूरी शुद्धता के साथ बनाते है. इसमें अरवा चावल का भात, चना दाल एवं कद्दू मिला हुआ दाल रहती है. लौकी की सब्जी, नया आलू और गोभी की सब्जी के साथ कई जगह अगस्त के फूल का पकौड़ा भी बनाते है. आज सूर्योदय से लेकर दोपहर बाद 1 बजकर 25 मिनट तक अनुराधा नक्षत्र रहेगा जो सौभाग्य शोभन योग्य है. इस दौरान नहाय खाय कर लेना शुभ होता है. मान्यता है कि इससे मनोकामना पूरी होती है.
छठ पूजा 2022 शुभ मुहूर्त: पहला दिन
छठ पूजा नहाय-खाय 2022: 28 अक्टूबर, दिन शुक्रवार को
सूर्योदय: प्रात: 06 बजकर 30 मिनट पर
सूर्योस्त: शम 05 बजकर 39 मिनट पर
छठ पूजा 2022 के दिन बन रहा है ये शुभ योग
शोभन योग: प्रात:काल से देर रात 01 बजकर 30 मिनट
सर्वार्थ सिद्धि योग: सुबह 06 बजकर 30 मिनट से सुबह 10 बजकर 42 मिनट तक
रवि योग: सुबह 10 बजकर 42 मिनट से अगली सुबह 06 बजकर 31 मिनट तक
दूसरे दिन इस शुभ समय एवं योग में करें छठ पूजा
रवि योग: सुबह 06 बजकर 31 मिनट से सुबह 09 बजकर 06 मिनट तक
सुकर्मा योग: रात 10 बजकर 23 मिनट से अगली सुबह तक
इन पूजन सामग्रियों की होती है जरूरत-:
पांच गन्ने जिसमें पत्ते लगे हों, पानी वाला नारियल, अक्षत, पीला सिंदूर, दीपक, घी, बाती, कुमकुम, चंदन, धूपबत्ती, कपूर, दीपक, अगरबत्ती, माचिस, फूल, हरे पान के पत्ते, साबुत सुपाड़ी, शहद का भी इंतजाम कर लें. इसके अलावा हल्दी, मूली और अदरक का हरा पौधा, बड़ा वाला मीठा नींबू, शरीफा, केला और नाशपाती की भी जरूरत पूजा के लिए पड़ती है. इनके अलावा शकरकंदी और सुथनी लेना न भूलें. मिठाई, गुड़, गेंहू और चावल का आटा और घी की भी व्यवस्था कर लें.
नहाय खाय नियम-:
नहाए खाय के दिन व्रती पूरे घर की अच्छी तरह सफाई करें, क्योंकि इस पर्व में शुद्धता का विशेष महत्व है. साथ ही व्रतियों के भी पवित्र नदी या तालाब में स्नान का विधान है.
चार दिन के पर्व में तामसिक भोजन का त्याग करें. सिर्फ सात्विक भोजन ही किया जाता है. ब्रह्मचर्य का पालन करें. व्रती को चार दिन तक जमीन पर सोना चाहिए.
इस दिन व्रती सिर्फ एक ही बार भोजन ग्रहण करते हैं. साफ-सफाई और शुद्धता के साथ पहले दिन का नमक युक्त भोजन बनाया जाता है. ध्यान रहे खाना बनाते वक्त जुठी वस्तु को इस्तेमाल न करें.
पूजा का प्रसाद मिट्टी के चूल्हे पर ही बनाएं क्योंकि मिट्टी के चूल्हा साफ और शुद्ध माना जाता है.
नहाय खाय पूजा विधि-:
छठ पूजा में नहाय खाय के दिन तन और मन की शुद्धता का खास खयाल रखे. नहाए खाए का अर्थ है स्नान कर भोजन करना.
इस दिन पूरे घर की अच्छी तरह सफाई करें. फिर सूर्योदय से पूर्व पवित्र नदी या फिर घर में ही नहाने के पानी में गंगाजल डालकर स्नान कर लें. साफ कपड़े या नए कपड़े पहनकर ही भोजन बनाएं.
नहाय-खाय के दिन भोजन में लौकी की सब्जी और चने की दाल बनाने की भी परंपरा है. इस भोजन में सेंधा नमक का इस्तेमाल किया जाता है.
मान्यता है कि इस दिन पहले व्रत रखने वाली महिलाएं या पुरुष भोजन ग्रहण करते हैं फिर घर के अन्य सदस्य.