29 जून गुरुवार को देवशयनी एकादशी से चातुर्मास का प्रारंभ हो रहा है. चातुर्मास को चौमासा भी कहते हैं. चातुर्मास में भगवान श्रीहरि विष्णु योग निद्रा में होते हैं और सृष्टि का संचालन भगवान शिव के हाथों में होता है. वे पालक और संहारक दोनों ही भूमिका में होते हैं.
चातुर्मास में मांगलिक कार्य बंद होते हैं और इसमें लोगों को संयम की आवश्यकता होती है. जो लोग चातुर्मास के नियमों का पालन करते हैं, वे सुखी रहते हैं और परिवार की उन्नति होती है, साथ ही सुख-समृद्धि भी बढ़ती है. श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभागाध्यक्ष डॉ. मृत्युञ्जय तिवारी बता रहे हैं चातुर्मास के नियमों के बारे में.
चातुर्मास के 10 नियम
1. चातुर्मास आषाढ़ शुक्ल एकादशी से लेकर कार्तिक शुक्ल एकादशी तिथि तक होता है. इन चार माह में प्रतिदिन सूर्योदय पूर्व उठकर रोज नहाना चाहिए. भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए. इसमें सावन माह शिव पूजा के लिए उत्तम है.
2. पूरे चातुर्मास में ब्रह्मचर्य के नियमों का पालन करें. तामसिक विचार और तामसिक वस्तुओं से दूरी बनाकर रखें. मन, कर्म और वचन से शुद्ध रहकर क्षमता अनुसार दान पुण्य करें.
3. चातुर्मास में एक समय भोजन करना चाहिए. भूमि या फर्श पर समय से सोना चाहिए. व्रत, जप, तप, साधना, योग आदि करना चाहिए. इससे शरीर और मन दोनो स्वस्थ रहेंगे.
4. चातुर्मास के व्रतों को विधिपूर्वक रखकर पूजा करनी चाहिए. बेकार की बातों में अपनी शक्ति न लगाएं. क्रोध पर नियंत्रण रखें, दूसरे की बुराई से बचें. घमंड न करें. आत्म चिंतन करें.
5. चातुर्मास में प्रत्येक दिन संध्या आरती जरूर करें. नया जनेऊ धारण करें. चातुर्मास में भगवान विष्णु, महादेव के अतिरिक्त माता लक्ष्मी, माता पार्वती, गणेश जी, राधाकृष्ण, पितृ देव आदि का पूजन करना चाहिए.
6. चातुर्मास में विवाह, सगाई, गृह प्रवेश आदि जैसे मांगलिक कार्य न करें क्योंकि इस समय में देव सो रहे होते हैं. ऐसे में इन कार्यों को करने से शुभ फल नहीं मिलता है.
7. चातुर्मास में पान, दही, तेल, बैंगन, साग, शकर, मसालेदार भोजन, मांस, मदिरा, नमकीन खाद्य पदार्थ आदि का सेवन नहीं करते हैं. मान्यताओं के अनुसार, चातुर्मास में पान छोड़ने से भोग, दही छोड़ने से गोलोक, गुड़ छोड़ने से मधुरता, नमक छोड़ने से पुत्र सुख की प्राप्ति होती है.
8. चातुर्मास के सावन में पत्तेदार सब्जियां, भाद्रपद में दही, आश्विन में दूध और कार्तिक में लहसुन-प्याज का सेवन वर्जित है. साथ ही चातुर्मास में काले या नीले वस्त्र धारण न करें.
9. चातुर्मास में व्यक्ति को 5 प्रकार के दान करने चाहिए, जिसमें दीपदान, अन्न दान, वस्त्र दान, छाया दान और श्रम दान शामिल है.
10. चातुर्मास में आप भगवान विष्णु के मंत्र ओम नमो भगवते वासुदेवाय और शिव जी के पंचाक्षरी मंत्र ओम नम: शिवाय का जाप कर सकते हैं. चातुर्मास में शिव और विष्णु भक्ति से मनोरथ सिद्ध होंगे.
29 जून से शुरू हो रहा चातुर्मास, इन 10 नियमों का रखें विशेष ध्यान-परिवार की होगी उन्नति
Topics
- Featured
- podcast
- technical
- अनोखेलाल
- अल्मोड़ा
- अल्मोड़ा
- अल्मोड़ा
- उत्तरकाशी
- उत्तरकाशी
- उत्तरकाशी
- उत्तराखंड
- उत्तराखंड चुनाव 2022
- उधमसिंह नगर
- उधमसिंह नगर
- एक नज़र इधर भी
- करियर
- कुमाऊं
- क्राइम
- क्रिकेट
- खुशखबरी
- खेल-खिलाड़ी
- गढ़वाल
- चंपावत
- चंपावत
- चंपावत
- चमोली
- चमोली
- चमोली
- चुनाव 2024
- ज़िला अल्मोड़ा
- ज़िला उत्तरकाशी
- ज़िला ऊधम सिंह नगर
- ज़िला चंपावत
- ज़िला चमोली
- ज़िला टिहरी
- ज़िला देहरादून
- ज़िला नैनीताल
- ज़िला पिथौरागढ़
- ज़िला पौड़ी
- ज़िला बागेश्वर
- ज़िला रुद्रप्रयाग
- ज़िला हरिद्वार
- ज्योतिष
- टिहरी
- टिहरी
- टिहरी
- टॉप कॉलेज
- टॉप स्कूल
- ताजा हलचल
- देश
- देहरादून
- देहरादून
- देहरादून
- धर्म
- नैनीताल
- नैनीताल
- नैनीताल
- पंजाब चुनाव 2022
- पर्यटन
- पर्यटन के आयाम
- पिथौरागढ़
- पिथौरागढ़
- पिथौरागढ़
- पौड़ी
- पौड़ी
- पौड़ी
- प्रतिभा सम्मान
- फोटो गैलेरी
- बड़ी खबर
- बागेश्वर
- बागेश्वर
- बागेश्वर
- बिजनेस
- मंथन
- मनोरंजन
- मौसम
- यूपी चुनाव 2022
- राज्य-नीतिक हलचल
- रिजल्ट
- रिलेशनशिप
- रुद्रप्रयाग
- रुद्रप्रयाग
- रुद्रप्रयाग
- लाइफस्टाइल
- लोकहित कार्य नीति
- विदेश
- वीडियो
- व्यवसाय की गति
- शिक्षा
- शिक्षा नीति
- सपनों का उत्तराखंड
- स्कॉलरशिप
- स्वास्थ्य
- हमारी विरासत
- हरिद्वार
- हरिद्वार
- हरिद्वार
- हादसा
- हैलो उत्तराखंड
- होम
More
Popular Categories