प्रदेश सरकार चारधाम यात्रा को सुगम और सुरक्षित बनाने के लिए तत्पर है। 10 मई को केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट खुलते ही चारधाम यात्रा शुरू हो जाएगी, जबकि 12 मई को बदरीनाथ धाम खुलेंगे। लेकिन उच्च हिमालयी क्षेत्रों में मौसम, भूस्खलन और पर्यावरण संरक्षण, सुरक्षित यातायात जैसी कई चुनौतियां हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी इन चुनौतियों को पार करने के लिए तैयारियों पर नजर रख रहे हैं।
चारधाम यात्रा के लिए मौसम की अनियमितता एक महत्वपूर्ण चुनौती है। बारिश के समय, यात्रा मार्ग पर भूस्खलन जोन बन जाते हैं, जो यात्रियों के लिए खतरा बढ़ा देते हैं। इससे बचाव के लिए सरकार और संबंधित एजेंसियों को व्यापक इंतजाम करने की जरूरत होती है।
हिमालय क्षेत्र की प्राकृतिक सुंदरता और वास्तविकता को संरक्षित रखना महत्वपूर्ण है। यहां की अत्यंत संवेदनशील पारिस्थितिकी और वायुमंडल को हमेशा मदद की जरूरत होती है। इस बार प्लास्टिक कचरे के प्रबंधन पर ध्यान देने की जरूरत है, ताकि इस प्राकृतिक अनुपम समृद्धि को संरक्षित रख सकें।
याद रखे ये जरूरी बातें
- चारोंधाम हिमालयी क्षेत्र में स्थित हैं, ऑक्सीजन लेबल भी कम होता है, इसलिए स्वास्थ्य परीक्षण के बाद ही कदम बढ़ाएं।
- सरकार की ओर से भी स्वास्थ्य परीक्षण की व्यवस्था की गई है। ब्लड प्रेशर, शुगर और हृदय रोग से पीड़ित लोग ज्यादा सावधानी बरतें। डॉक्टरी परामर्श के बाद ही यात्रा पर जाने का फैसला करें।
- यात्रा के दौरान जरूरी जीवन रक्षक दवाइयां साथ लेकर जाएं। जुकाम बुखार, सिरदर्द आदि की दवाइयां भी साथ में रखें।
- यात्रा मार्ग में खानपान का खास ध्यान रखें। ताजे भोजन का सेवन करें।
- उच्च हिमालयी क्षेत्रों में मौसम पल-पल बदलता है। इसलिए ऊनी वस्त्र, कंबल, वाटरप्रूफ बिस्तर, बरसाती, छाता, टार्च आदि आवश्यक साथ में रखें।